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पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संस्थापक और दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव एक बार फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। सोमवार को उन्होंने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में चार सेटों में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। खास बात यह रही कि यह इकलौता नामांकन था, जिससे उनके निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने की संभावना पहले ही तय मानी जा रही है। औपचारिक रूप से इसकी घोषणा 5 जुलाई को पटना के बापू सभागार में होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में की जाएगी।

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नामांकन की प्रक्रिया संपन्न

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. रामचन्द्र पूर्वे और सहायक निर्वाचन पदाधिकारी चितरंजन गगन की मौजूदगी में नामांकन पत्र दाखिल किया। चार सेटों में दाखिल किए गए प्रत्येक नामांकन पत्र पर राष्ट्रीय परिषद के 10-10 सदस्यों के हस्ताक्षर थे। इस प्रकार कुल 40 सदस्यों ने उनके नामांकन का समर्थन किया। नामांकन पत्र पार्टी के प्रदेश कैम्प कार्यालय में दाखिल किए गए।

मंगलवार को होगी नामांकन पत्रों की जांच

निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. रामचन्द्र पूर्वे ने बताया कि लालू प्रसाद के नामांकन पत्रों की विधिवत जांच मंगलवार दोपहर को की जाएगी। यदि जांच में सभी औपचारिकताएं पूर्ण पाई गईं, तो उनकी निर्विरोध ताजपोशी की घोषणा का मार्ग साफ हो जाएगा। चूंकि लालू के अलावा किसी अन्य नेता ने नामांकन दाखिल नहीं किया है, इसलिए उनके निर्विरोध निर्वाचित होने में कोई संशय नहीं है।

5 जुलाई को होगा औपचारिक ऐलान

राजद के राष्ट्रीय सहायक निर्वाचन पदाधिकारी चितरंजन गगन ने बताया कि 5 जुलाई को बापू सभागार, पटना में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में लालू प्रसाद के निर्विरोध चुनाव की औपचारिक घोषणा की जाएगी और उन्हें प्रमाणपत्र सौंपा जाएगा। इसके बाद उन्हीं की अध्यक्षता में पार्टी का खुला अधिवेशन आयोजित किया जाएगा।

इस अधिवेशन में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा विभिन्न प्रस्ताव पेश किए जाएंगे और उन पर चर्चा की जाएगी। पार्टी की भावी रणनीतियों, संगठन विस्तार, आगामी चुनावों की तैयारियों सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर इस अधिवेशन में विचार किया जाएगा।

1997 से लगातार अध्यक्ष

यह उल्लेखनीय है कि लालू प्रसाद यादव 1997 में राजद की स्थापना के समय से ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पार्टी ने उन्हें लगातार अपने शीर्ष पद पर बनाए रखा है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य कारणों से लालू राजनीति में अपेक्षाकृत कम सक्रिय रहे हैं, लेकिन पार्टी की बागडोर अब भी उनके हाथों में ही है। उनके पुत्र और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पार्टी की युवा छवि के रूप में काम कर रहे हैं, लेकिन संगठनात्मक फैसलों में लालू का अनुभव और नेतृत्व अब भी सर्वोपरि है।

विपक्षी एकता में महत्वपूर्ण भूमिका

राजद अध्यक्ष के रूप में लालू प्रसाद यादव की भूमिका केवल पार्टी तक सीमित नहीं रही है। उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में भी प्रभावशाली भूमिका निभाई है। हाल के वर्षों में विपक्षी दलों के बीच एकता कायम करने की कोशिशों में भी उनकी सलाह और भूमिका मानी जाती रही है। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए, राजद के इस संगठनात्मक कदम को पार्टी के भीतर मजबूती और राजनीतिक संदेश दोनों के रूप में देखा जा रहा है।

तेजस्वी की मौजूदगी रही अहम

नामांकन के समय तेजस्वी यादव सहित कई वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी ने इस कार्यक्रम को और अधिक राजनीतिक महत्व प्रदान किया। तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “लालू जी का अनुभव और मार्गदर्शन पार्टी के लिए अमूल्य है। उनके नेतृत्व में पार्टी न केवल बिहार बल्कि देशभर में अपनी भूमिका मजबूत करेगी।”

निष्कर्ष

लालू प्रसाद यादव का एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना राजद के लिए स्थायित्व और अनुभव का प्रतीक है। यह न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी कि पार्टी नेतृत्व में अभी भी उनका वर्चस्व कायम है। 5 जुलाई को जब उनके निर्विरोध अध्यक्ष बनने की औपचारिक घोषणा की जाएगी, तो वह पल पार्टी के इतिहास में एक और अध्याय जोड़ देगा।

 

 

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