देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धरती पूर्वी चंपारण को एक उपलब्धि हासिल हुई है. बता दें कि पूर्वी चंपारण मनरेगा के मामले में योजना में नंबर एक रैंक मिली है. अब एक बार फिर से बिहार के इस जिले को नेशनल वाटर अवॉर्ड 2020 भी मिला है. बता दें कि यह अवॉर्ड जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से दिया गया है. इधर मंत्रालय ने यह भी कहा है कि नेशनल वाटर अवॉर्ड के ईस्ट जोन में मोतिहाकी पहले पायदान पर है. बता दें कि जिला की तरफ से साल 2021 में आवेदन किया गया था. जिसके बाद केंद्रिय टीम ने इस जिले का सर्वे किया उसके बाद इस सर्वे के आधार पर रिपोर्ट बनाई गई उसके बाद रैंकिग में बिहार का यह जिला टॉप पर पहुंचा है.
वहीं दूसरी तरफ मनरेगा में राज्यस्तरीय रैंकिंग में यह जिला पहले स्थान पर आया है. बता दें कि मनरेगा के मामले में जून 2021 में इस रैकिंग में पूर्वी चंपारण ही पहले स्थान पर था. बता दें कि मनरेगा की जब से शुरुआत हुई है तब से यह जिला टॉप-5 में हमेशा रहा है. बता दें कि पूर्वी चंपारण को जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से ईस्ट जोन का पहला अवॉर्ड मिला है. बता दें कि यहां जल संरक्षण के लि धनौती नदी पर रिवरफ्रंट बनाया गया है. सरकारी कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग के तहत सोख्ता बनवाया गया है. मोतीझील से अतिक्रमण हटाया गया है. इसके किनारे पांच लाख पौधे लगाए गए हैं. नगर, पइन और तालाबों को जीर्णोद्वार किया गया है. ताकि जल संरक्षण किया जा सके. जिले की तरफ से यह कार्य करने से जिले का जलस्तर दो फीट बढ़ गया है. नेशनल वाटर अवॉर्ड और स्वच्छ भारत पुरस्कार भी मिल चुका है.
इधर विश्व प्रसिद्ध केसरिया बौद्ध स्तूप का यहां संरक्षण कार्य कर दिया गया है. भारतीय पुरात्त्व संरक्षण विभाग इस काम को करा रहा है. इधर पुरात्व सर्वेक्षण विभाग पटना के संरक्षक सहायक बिक्रम कुमार झा ने बताया कि इस स्तल को संरक्षित करने के लिए 15 मजदूर काम कर रहे हैं. बता दें कि ये लोग बौद्ध स्तूप के उत्खनन में मिले पुरातत्विक ईंटों की अच्छे से सपाई कर रहे हैं. बता दें कि यहां पर साल 2014 में बौद्ध स्तूप का निचला हिस्सा यहां मिला था. बता दें कि सात साल के बाद संरक्षण का कार्य शुरू हो गया है.