कानपुर के गोविंद नगर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ स्थानीय लोगों को हैरान किया है बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक 40 वर्षीय महिला पर 16 साल के नाबालिग लड़के को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में पीड़ित परिवार ने जब पुलिस से शिकायत की, तो कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्हें मजबूर होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब जाकर गोविंद नगर थाने में महिला के खिलाफ FIR दर्ज की गई है और पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है।
### क्या है पूरा मामला?
पीड़ित लड़के के पिता ने मीडिया को बताया कि उक्त महिला उनके मकान में किराए पर अपने पति और तीन बच्चों के साथ रहती थी। परिवार के अनुसार, 31 मार्च 2025 की दोपहर करीब दो बजे महिला ने उनके नाबालिग बेटे को अपने साथ भगा लिया। जब लड़का घर नहीं लौटा तो परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। परिजनों का दावा है कि महिला उनके बेटे को बहला-फुसलाकर गलत रास्ते पर ले जा सकती है।
पिता ने बताया कि महिला और उसके पति के बीच आए दिन झगड़े होते रहते थे। कई बार उनसे मकान खाली करने को कहा गया, लेकिन वह टालमटोल करती रही। अब जब यह घटना सामने आई है, तो परिजनों को यह यकीन हो चला है कि महिला का मकसद पहले से ही कुछ गलत था।
### पहले भी भाग चुके थे दोनों
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह पहली बार नहीं है जब लड़का महिला के साथ गया हो। इससे एक हफ्ते पहले भी दोनों अचानक गायब हो गए थे और बाद में दिल्ली में पाए गए थे। उस वक्त पुलिस ने दोनों को ढूंढ निकाला था और जब पूछताछ की गई, तो लड़के ने बताया कि वह अपने माता-पिता की मारपीट से तंग आकर महिला के साथ चला गया था।
उस समय परिवार ने समझदारी से काम लेते हुए लड़के को उसके मामा के घर इटावा भेज दिया था, ताकि वह महिला से दूर रह सके। लेकिन कुछ ही दिन बाद महिला इटावा भी पहुंच गई और किसी तरह लड़के को दोबारा अपने साथ ले गई। इस पूरे घटनाक्रम ने परिजनों की चिंता और बढ़ा दी।
### पुलिस पर लापरवाही का आरोप
परिवार का आरोप है कि उन्होंने गोविंद नगर थाने में कई बार शिकायत की, लेकिन पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। जब महिला दोबारा लड़के को लेकर फरार हो गई, तब भी पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। परेशान होकर परिवार को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा।
कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद जज ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल FIR दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद गोविंद नगर पुलिस हरकत में आई और अब महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है।
### लोकेशन दिल्ली में, तलाश जारी
पुलिस ने अब तक की जांच में यह पता लगाया है कि महिला और लड़का फिलहाल दिल्ली में हैं। पुलिस की एक टीम उनकी तलाश में दिल्ली रवाना हो चुकी है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि दोनों के बीच रिश्ते की प्रकृति क्या है। लड़का नाबालिग है, इसलिए यह मामला काफी संवेदनशील बन गया है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही दोनों मिलते हैं, उन्हें कानपुर लाया जाएगा और मामले की गहराई से जांच की जाएगी। लड़के के बयान के आधार पर अगली कानूनी कार्रवाई तय होगी।
### क्या कहता है कानून?
इस मामले में कानूनी पक्ष भी काफी महत्वपूर्ण है। चूंकि लड़का नाबालिग है, ऐसे में किसी भी प्रकार की सहमति वैध नहीं मानी जाती। यदि महिला पर लड़के के साथ शारीरिक या मानसिक शोषण का आरोप सिद्ध होता है, तो उसे पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत कड़ी सजा हो सकती है।
वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मानना है कि यदि महिला ने जानबूझकर नाबालिग को बहलाकर भगाया है, तो यह गंभीर अपराध है। वहीं, अगर लड़के के साथ यौन संबंधों की पुष्टि होती है, तो यह मामला और भी गंभीर हो जाएगा और महिला को जेल की सजा से कोई नहीं बचा सकता।
### सामाजिक सवाल और जिम्मेदारी
इस तरह की घटनाएं समाज में कई सवाल खड़े करती हैं। एक 40 साल की महिला का 16 साल के लड़के को बहलाकर भगाना न केवल नैतिक दृष्टि से गलत है, बल्कि यह समाज के कमजोर तबकों—विशेषकर नाबालिगों—के लिए खतरनाक संकेत भी है।
यह मामला पुलिस प्रशासन की लापरवाही का भी उदाहरण है, जहां समय रहते कार्रवाई नहीं होने से एक परिवार को कोर्ट जाना पड़ा। यदि समय पर FIR दर्ज कर जांच शुरू की जाती, तो शायद आज मामला इतना गंभीर न होता।
### निष्कर्ष
फिलहाल पुलिस की कोशिश है कि दोनों को जल्द से जल्द खोजकर कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए। परिवार और समाज दोनों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि इस मामले में क्या सच्चाई सामने आती है और न्याय व्यवस्था कैसे काम करती है।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बाल संरक्षण कानूनों की निगरानी और प्रवर्तन में लापरवाही बहुत महंगी पड़ सकती है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में कानूनी कार्रवाई कितनी प्रभावी और पारदर्शी रहती है।
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