जन सुराज पार्टी ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए अपने सभी राजनीतिक कार्यक्रमों को 15 मई तक स्थगित करने की घोषणा की है। पार्टी के इस फैसले के पीछे भारत और पाकिस्तान के बीच उत्पन्न हो रही तनावपूर्ण स्थिति को कारण बताया गया है। पार्टी अध्यक्ष मनोज भारती ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पार्टी का यह दायित्व बनता है कि वह शांति और सौहार्द को प्राथमिकता दे। इसी उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है।
मनोज भारती ने बताया कि पार्टी राजनीति से पहले राष्ट्रहित को प्राथमिकता देती है और जब देश किसी संकट या संवेदनशील परिस्थिति से गुजर रहा हो, तब हर राजनीतिक दल को संयम बरतना चाहिए। उन्होंने कहा कि जन सुराज पार्टी का उद्देश्य केवल चुनावी राजनीति नहीं, बल्कि जनसेवा है। ऐसे समय में जब देश की सुरक्षा और अखंडता खतरे में हो सकती है, तब पार्टी ने अपने सभी कार्यक्रमों को स्थगित करना उपयुक्त समझा।
पार्टी महासचिव किशोर कुमार ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि 11 मई को नालंदा के कल्याण बिगहा से शुरू होने वाला “हस्ताक्षर अभियान” और “उद्घोष यात्रा” फिलहाल स्थगित कर दिए गए हैं। इन अभियानों का उद्देश्य लोगों को जन सुराज पार्टी की नीतियों और विचारों से जोड़ना था, लेकिन पार्टी ने राष्ट्रहित को प्राथमिकता दी है।
इस घोषणा के समय पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण रही। मौके पर मौजूद नेताओं में कन्हैया सिंह, ए.के. द्विवेदी, अरविंद सिंह, सरवर अली, प्रो. शांतनु, सैयद मसीह उद्दीन और चंदन कुमार शामिल थे। इन सभी नेताओं ने एक स्वर में पार्टी के निर्णय का समर्थन किया और इसे देशहित में उठाया गया कदम बताया।
कन्हैया सिंह ने कहा कि जन सुराज पार्टी शुरू से ही संवेदनशील और जिम्मेदार राजनीतिक संगठन रही है। उन्होंने कहा कि जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते, तब तक पार्टी कोई भी बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं करेगी। प्रो. शांतनु ने भी कहा कि यह निर्णय देश की एकता और अखंडता के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से भी अपील की है कि वे संयम बरतें और देश के साथ खड़े रहें। पार्टी का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब देशभर में राजनीतिक हलचलों के बीच भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर चिंता बनी हुई है। जन सुराज पार्टी का यह रुख न केवल राजनीतिक परिपक्वता का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है।