बिहार के गया जिले की गरारी पंचायत की मुखिया पूजा कुमारी आज पूरे राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि, सीमित संसाधन और समाज की रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़ते हुए पूजा ने वो कर दिखाया है, जो हजारों युवाओं का सपना होता है। अब उन्हें देश के सबसे बड़े मंच, लाल किले पर आयोजित स्वतंत्रता दिवस 2025 समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

पूजा कुमारी की उम्र सिर्फ 24 वर्ष है, लेकिन इस कम समय में उन्होंने राजनीति और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में जो पहचान बनाई है, वह असाधारण है। वे राज्य की सबसे कम उम्र की और दो बार निर्वाचित मुखिया हैं। 2021 में जब उन्होंने पहली बार पंचायत चुनाव लड़ा, तब उनकी उम्र महज 20 वर्ष थी। इस उम्र में मुखिया बनना आसान नहीं था, और बाद में आयु सीमा की अर्हता पूरी न होने के कारण उनकी सदस्यता रद्द भी कर दी गई। लेकिन पूजा ने हार नहीं मानी।

2023 में गरारी पंचायत में उपचुनाव हुए। इस बार उनकी उम्र चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार हो चुकी थी। उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल कर फिर से पंचायत की कमान संभाली। उनके सामने उम्रदराज और राजनीतिक रूप से अनुभवी प्रत्याशी थे, लेकिन पूजा ने सभी को हराकर साबित कर दिया कि हौसले उम्र के मोहताज नहीं होते।

पूजा कुमारी का जीवन केवल चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है। उन्होंने अपने क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण की दिशा में अनोखी पहल की है। उनकी पंचायत को ‘मॉडल वूमेन फ्रेंडली पंचायत’ के रूप में चुना गया है। यह उपलब्धि उन्होंने इसलिए हासिल की क्योंकि उन्होंने पंचायत में ‘महिला आम सभा’ की शुरुआत की, जहां महिलाएं खुलकर अपनी बात रख सकती थीं, योजनाओं पर चर्चा कर सकती थीं और अपनी समस्याएं सामने ला सकती थीं।

पूजा का मानना है कि ग्रामीण महिलाओं को सही दिशा और समर्थन मिले तो वे आत्मनिर्भर बन सकती हैं। उन्होंने कई महिलाओं को सरकारी योजनाओं से जोड़कर उन्हें स्वरोजगार दिलाया। आज भी ग्रामीण महिलाएं अपनी निजी समस्याएं खुलकर पूजा कुमारी से साझा करती हैं, और उन्हें समाधान भी मिलता है। यही कारण है कि वे सिर्फ एक जनप्रतिनिधि नहीं, बल्कि अपने पंचायत की बेटियों और बहनों के लिए एक मजबूत सहारा बन चुकी हैं।

पूजा की पढ़ाई-लिखाई भी काफी साधारण परिवेश में हुई। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा जहानाबाद के बाल विद्यालय निकेतन से और स्नातक की पढ़ाई एएनएस कॉलेज, जहानाबाद से की। वर्ष 2019 में उनकी शादी देवरा गांव के सुनील कुमार से हुई, जो रेलवे में कार्यरत हैं। शादी के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी जारी रखी।

राजनीति में आने की प्रेरणा उन्हें अपने ससुराल के सामाजिक माहौल और परिवार की पुरानी विरासत से मिली। उनके पति के दादाजी और ससुर ने भी कभी पंचायत चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं पाए थे। पूजा कुमारी का मानना है कि उन्होंने एक बहू के रूप में परिवार के अधूरे सपने को पूरा किया है।

शुरुआत में जब वे चुनाव मैदान में उतरीं, तो समाज के कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। कहा गया कि नई नवेली बहू वोट मांग रही है, इसे तो पर्दे में रहना चाहिए। लेकिन पूजा ने इन तानों को अनसुना कर महिलाओं और युवाओं का साथ पाया और मजबूत आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ती गईं।

उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन्हें स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए विशेष अतिथि के रूप में चुना। वे कहती हैं कि यह सम्मान न केवल उनका है, बल्कि पूरे बिहार की बेटियों और महिलाओं का है। दिल्ली से आया बुलावा उन्हें और अधिक जिम्मेदार बनाता है।

पूजा का सपना है कि उनकी पंचायत कृषि, बागवानी और महिला रोजगार के क्षेत्र में पूरे राज्य में नंबर एक बने। वे चाहती हैं कि महिलाएं सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित न रहें, बल्कि आत्मनिर्भर बनें, निर्णय लें और समाज में नेतृत्व करें।

वे बताती हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला आरक्षण और शिक्षा से जुड़ी नीतियों ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है। पूजा का मानना है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच ने उन्हें आगे बढ़ने का आत्मविश्वास दिया।

पूजा कुमारी का नाम आज गांव की गलियों से निकलकर पूरे देश में गर्व से लिया जा रहा है। उन्होंने यह दिखा दिया है कि अगर सोच प्रगतिशील हो, संकल्प मजबूत हो और इरादे साफ हों, तो कोई भी लड़की, किसी भी गांव से उठकर देश के शीर्ष मंच तक पहुंच सकती है।

प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान पूजा कुमारी महिलाओं के लिए रोजगार, सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर बात करेंगी। उनका मानना है कि समाज में बदलाव लाने के लिए महिलाओं को सिर्फ आवाज नहीं, अवसर भी मिलना चाहिए।

पूजा कुमारी जैसी युवा महिला प्रतिनिधि आज की राजनीति में नई उम्मीद की किरण हैं, जो न केवल नेतृत्व कर रही हैं बल्कि समाज को दिशा भी दे रही हैं।

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