


आज भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ पूर्व सांसद अनिल कुमार यादव इस्माइलपुर बिंद टोली बांध का स्थलीय निरीक्षण किया। जो हालात वहां देखे गए, वे केवल चिंताजनक नहीं, बल्कि शर्मनाक भी हैं। करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी बांध की स्थिति जस की तस है। क्या ये मरम्मत है, या भ्रष्टाचार की दीवार खड़ी की जा रही है?
मरम्मत के नाम पर मज़ाक
जहाँ मजबूत और भारी पत्थरों का इस्तेमाल होना चाहिए, वहाँ छोटे और कमजोर पत्थर लगाए गए हैं। ये पत्थर तेज बहाव में एक पल भी टिक नहीं सकते। मरम्मत के नाम पर केवल स्टील के तारों का सहारा लिया गया है – न कोई ठोस नींव, न कोई स्थायी समाधान।
हर साल की लूट – जनता की जेब से
हर साल बाढ़ से पहले मरम्मत के नाम पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं, लेकिन बांध फिर उसी हालत में पहुँच जाता है। यह साफ दर्शाता है कि यह कोई विकास योजना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित भ्रष्टाचार योजना है। बांध अब उन चुनिंदा जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के लिए ‘एटीएम’ बन चुका है, जहां से हर साल मोटी कमाई की जाती है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी – सवालों के घेरे में
सबसे बड़ा सवाल यह है कि गोपालपुर के मौजूदा जनप्रतिनिधि कहाँ हैं? क्या उन्होंने कभी आकर इस मरम्मत कार्य की वास्तविक स्थिति देखी है? क्या उनका काम केवल मंचों से भाषण देना और सोशल मीडिया पर फोटो खिंचवाना रह गया है? जब जनता डर और असुरक्षा में जी रही है, तब वे चुप क्यों हैं?
जनता अब जाग चुकी है
जनता अब समझ चुकी है कि सिर्फ वादों और भाषणों से उसका पेट नहीं भरता और न ही उसकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है। अब वह पूछेगी –
क्यों हर साल वही लीपापोती?
क्यों मानकों की अनदेखी होती है?
क्यों जनता के टैक्स का पैसा बर्बाद होता है?
हमारी मांगें बिल्कुल स्पष्ट हैं:
- मरम्मत कार्य में हुई अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच हो।
- संबंधित ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- निर्माण कार्य मानक के अनुसार, टिकाऊ और मजबूत तरीके से किया जाए।
- हर साल की तात्कालिक मरम्मत की बजाय स्थायी समाधान सुनिश्चित हो।
अब फैसला जनता को करना है:
हमें चाहिए मजबूत बांध या बहानेबाज़ी?
हमें चाहिए सुरक्षा या सिर्फ झूठे वादे?
हमें चाहिए विकास या फिर ढकोसला?
अब समय है आवाज उठाने का,
अब समय है जवाब मांगने का –
जनप्रतिनिधियों से भी, सरकार से भी।