ज्यादातर निजी स्कूली वाहन अनाड़ी चालकों के हाथ में है। अधिकांश चालकों के पास ना तो ड्राइविंग लाइसेंस है, न ही वाहन के फिटनेस का प्रमाण-पत्र। कुछेक को छोड़ दें तो ज्यादातर स्कूली वाहन बिना फिटनेस और टैक्स चुकाए ही सड़क पर चक्कर लगाते मिलेंगे। स्कूली वैन और आटो में तो बच्चे भेड़-बकरियों की तरह ठूंसे जा रहे हैं। ई-रिक्शा में तमाम सुरक्षा को दरकिनार कर बच्चों का परिवहन किया जा रहा। इसकी चिंता जिम्मेदार सरकार, जिला प्रशासन व परिवहन विभाग को करनी चाहिए। पर ऐसा हो नहीं रहा है।
यातायात पुलिस भी ऐसे वाहनों के परिचालन पर अंकुश लगा सकती है, लेकिन सबके सब चुप्पी साधे बैठे हुए हैं। हद तो यह कि एक वैन में 12 की जगह पर 17 बच्चे ठूंसे जा रहे हैं। उन्हें बच्चा नहीं बल्कि सामानों का गट्ठर मान लिया जाता है।
शहरी क्षेत्र में बिना लाइसेंस व फिटनेस के स्कूल वाहन दौड़ा रहे चालक
निजी स्कूल बसों के साथ ही आटो-वैन चालक क्षमता से कहीं ज्यादा बच्चे ढो रहे हैं। इन्हें न नियम का पता है और न ही सुरक्षा का ख्याल। अभिभावक इन हालातों से अंजान नहीं हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि स्कूलों ने विकल्पहीनता की स्थिति में खड़ा किया हुआ है। निजी स्कूल यह जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं।
न बच्चों की परवाह है, न अभिभावकों की। बच्चे कैसे आ-जा रहे हैं, स्कूल प्रबंधन को इससे कोई मतलब नहीं। क्वालिटी एजुकेशन के नाम मोटी फीस वसूल सुविधा के नाम पर कुछ खास नहीं दिया जा रहा। निजी स्कूल प्रबंधन क्षमता से काफी कम बस चला रहा है। बेचारे अभिभावक इसी विकल्पहीनता की वजह से निजी बसों या आटो-विक्रम को बुक कर बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं।
नियम विरुद्ध दोपहिया वाहन चला रहे स्कूली बच्चे
परिवहन विभाग या यातायात पुलिस नियम विरुद्ध रोज दोपहिया वाहन चलाकर स्कूल जा रहे उन स्कूली बच्चों पर भी नजर नहीं दौड़ा पा रहा जो कायदे-कानून की परवाह नहीं कर रहे। उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं होती। नियम के अनुसार ऐसे मामले में वाहन सीज करने व अभिभावक पर मुकदमा करने का प्रविधान है।
शहर में फिटनेस और बीमे के बिना दौड़ रहे स्कूली वाहन न सिर्फ कानून तोड़ रहे हैं बल्कि बच्चों की जान से सीधे खिलवाड़ भी कर रहे हैं। भगवान न करे अगर इन वाहनों में हादसा हो जाए तो कानूनन मुआवजा मिलना भी मुश्किल होगा।
छह साल पूर्व हुई थी कार्रवाई, 13 वैन और पांच आटो हुए थे जब्त
बच्चों को वैन में ठूंस कर ले जाने वाले वाहन चालकों पर कार्रवाई करते हुए इशाकचक, कोतवाली, तिलकामांझी और जोगसर थाना क्षेत्र में कुल 13 वैन और पांच आटो जब्त किए गए थे। स्कूली वैन के वायर में शार्ट सर्किट से आग लगने से तीन बच्चों के गंभीर रूप से झुलस जाने के बाद परिवहन और यातायात महकमे की नींद टूटी थी। अनफिट वाहनों में ठूंस कर बच्चों को ले जाने का सिलसिला उक्त कार्रवाई के बाद चंद दिनों तक थमा रहा लेकिन फिर वही पुरानी स्थिति आ पहुंची है।
स्कूल प्रबंधन को नोटिस दिया जाएगा। एक सप्ताह बाद नियम विरुद्ध चलाई जाने वाली बसें, स्कूली वैन, आटो, टोटो के परिचालन के विरुद्ध सघन अभियान चलाया जाएगा। – अनिल कुमार, मोटर वाहन निरीक्षक, भागलपुर।
यातायात पुलिस नियम विरुद्ध बच्चों को ठूंस कर ले जाने वाले वाहनों पर नजर रखेगी। उनके विरुद्ध यातायात नियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। – ब्रजेश कुमार, यातायात प्रभारी, भागलपुर।