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भागलपुर जिले के सुल्तानगंज क्षेत्र में स्थित कृष्णगढ़ मोड़ के समीप एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां श्रावणी मेला को लेकर स्थानीय कांवर दुकानदारों द्वारा स्वास्थ्य विभाग के क्वार्टर की दीवार को देर रात जेसीबी मशीन से तोड़ दिया गया। यह घटना उस समय हुई जब अधिकांश लोग रात के सन्नाटे में सो रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह कार्रवाई कांवर दुकान लगाने के उद्देश्य से की गई है।

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प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि देर रात अचानक एक जेसीबी मशीन मौके पर पहुंची और कुछ ही देर में स्वास्थ्य विभाग के पुराने क्वार्टर की दीवार को ध्वस्त कर दिया गया। जब ग्रामीणों ने विरोध करना चाहा, तब तक पूरा हिस्सा तोड़ा जा चुका था। लोगों का आरोप है कि यह सब अंचल पदाधिकारी की मिलीभगत से हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना किसी सरकारी आदेश के किसी सरकारी भवन को कैसे ध्वस्त किया जा सकता है?

इस मामले को लेकर जब संवाददाता ने रेफरल अस्पताल सुल्तानगंज के प्रभारी कुंदन भाई पटेल से बात की तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस संबंध में न तो उन्हें कोई पूर्व सूचना मिली थी और न ही किसी भी प्रकार की लिखित अनुमति दी गई थी। साथ ही उन्होंने कहा कि भागलपुर के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (सीएस) से भी संपर्क किया गया, जिनका कहना था कि दीवार तोड़ने का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।

घटना की सूचना मिलते ही सुल्तानगंज थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने तत्काल जेसीबी मशीन को जब्त कर लिया है और उस व्यक्ति की पहचान में जुट गई है, जो मशीन लेकर आया था और तोड़फोड़ में शामिल था। स्थानीय ग्रामीणों ने पुलिस से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

ग्रामीणों ने यह भी कहा कि श्रावणी मेला को लेकर दुकानदारों द्वारा की गई यह मनमानी प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है। एक ओर जहां प्रशासन मेले को लेकर सुरक्षा और स्वच्छता की बात कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अतिक्रमण के लिए सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इससे यह भी आशंका जताई जा रही है कि अन्य जगहों पर भी ऐसे ही तोड़फोड़ की घटनाएं हो सकती हैं।

वहीं, स्थानीय कांवर दुकानदारों का तर्क है कि मेला क्षेत्र में जगह की कमी के चलते वे वर्षों से इसी इलाके में दुकान लगाते आ रहे हैं और इस बार जगह को खाली कराने में बाधा आ रही थी, इसलिए मजबूरीवश दीवार हटाई गई। हालांकि, उनका यह तर्क कानून की नजर में पूरी तरह से अवैध माना जा रहा है।

इस पूरे मामले ने प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सुल्तानगंज में श्रावणी मेले के नाम पर कानून को ताक पर रखकर काम हो रहा है? क्या अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी भवन को क्षति पहुंचाई गई है? ये सारे सवाल अब जनता और मीडिया के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं।

फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है और स्थानीय प्रशासन की ओर से भी एक जांच समिति गठित करने की बात कही गई है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में किसे दोषी ठहराया जाता है और क्या दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या फिर मामला यूं ही दबा दिया जाएगा।

 

 

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By admin

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