बिहार सरकार शराबबंदी को सफल बनाने के लिए नीत नए फार्मूले अपनाती है तो दूसरी ओर शराब तस्करी में लगे धंधेबाज भी गोरखधंधा को बनाए रखने का तरीका इजाद करते रहते हैं. यहां तक कि जिस शराब को बनाने में मात्र 100 रुपए का खर्च आता है उसे तस्कर 2500 रुपए में बेचते है. शराब से होने वाली यही बड़ी कमाई शराब तस्करी को बिहार में बड़े स्तर पर बढ़ावा दे रही है.
दरअसल राजधानी पटना में पुलिस ने एक होम्योपैथी डॉक्टर को नकली शराब बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है. पुलिस के अनुसार आरोपी अपने साथियों के साथ मिलकर होम्योपैथी दवा और केमिकल का इस्तेमाल कर मात्र पांच मिनट में एक बोतल शराब बना देता था. होम्योपैथी दवा से नकली शराब बनाने के इस फार्मूले में 93 फीसदी अल्कोहल वाली दवाई और स्पिरिट तथा केमिकल को मिनिरल वाटर में मिलाकर शराब बनाई जाती थी. फिर जिस ब्रांड की मांग होती थी उसका स्टीकर चिपकाकर बाजार में तस्करी की जाती.
सूत्रों का कहना है कि नकली शराब बनाने के इस फार्मूले में एक बोतल शराब बनाने में 100 रुपए का खर्च आता था जबकि बाजार में इसे 2500 रुपए तक में बेचा जाता. पटना के प्रत्रकारनगर और गौरीचक थाने में हुई छापेमारी में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. शराब का यह गोरखधंधा चलाने वाला मुख्य सरगना होम्योपैथी डॉक्टर राजीव रंजन है. पुलिस को आरोपी के दो ठिकानों से लाखों रुपए मूल्य की शराब और अन्य सामग्री मिली है.
शराबबंदी को सफल बनाने के सरकार के दावों के बीच राजधानी पटना में इस तरह की शराब फक्ट्री का उद्भेदन होना शराबबंदी की सफलता पर सवालिया निशान लगाता है. होली के दौरान बिहार में 32 लोगों की संदिग्ध मौत के पीछे भी नकली शराब की बात सामने आ रही है. होली के दौरान हुई संदिग्ध मौतों में भागलपुर के 16, बांका के 12, मधेपुरा के तीन व नालंदा का एक मरने की खबर है.
बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने होली पर एक साथ 32 लोगों की मौत और कई के बीमार होने पर नीतीश सरकार को घेरा है. राजद की ओर से ट्वीट किया गया- जितनी बिहार में लगातार शराब उपलब्ध हो जा रही है, वह बिना सत्तारूढ़ दलों और सरकार की मिलीभगत के संभव ही नहीं! इसमें सिर्फ़ बिहार पुलिस ही शामिल नहीं, यह ‘सामने गाँधीवादी और पीछे मदिरावादी’ का गोरखधंधा सत्ता के शीर्ष से संचालित हो रहा है! मतलब समझ रहे हैं ना आप?