भागलपुर! भागलपुर में मां काली की प्रतिमा का विसर्जन गुरुवार की देर रात मुसहरी घाट स्थित बने कृत्रिम तालाब में हो होगा। महज पांच से छह किलोमीटर की दूरी तय करने में प्रतिमाओं का विसर्जन में 30 घंटे से अधिक का समय लग गया। सबसे पहले परबत्ती की बुढ़िया काली प्रतिमा का विसर्जन संध्या 7:30 बजे हुआ। इसके बाद अन्य प्रतिमाओं का विसर्जन होने में सुबह चार बज गये। अंतिम प्रतिमा के रूप में बूढ़ानाथ की बमकाली की प्रतिमा का विसर्जन हुआ। काली पूजा महासमिति के प्रवक्ता गिरीश चंद्र भगत ने बताया कि गुरुवार को परबत्ती की प्रतिमा चौक पर दस बजे आ गयी थी लेकिन स्टेशन चौक पहुंचने में लगभग चार बज गये। यहां पूर्व मेयर डॉ. वीणा यादव द्वारा मां की आरती हुई। इस दौरान अध्यक्ष ब्रजेश साह, महामंत्री शिशुपाल भारती, राकेश रंजन केशरी आदि मौजूद थे। उन्होंने बताया कि विसर्जन शोभायात्रा में 76 प्रतिमाएं शामिल हुई थीं। जवारीपुर व कटहलबाड़ी की प्रतिमा को विसर्जन शोभायात्रा में शामिल होने के लिए लाइसेंस नहीं मिल सका था। इसके लिए महासमिति ने प्रयास भी किया था।
बुधवार की शाम 8:30 बजे वेदी से उठी थी परबत्ती की प्रतिमा
विसर्जन शोभायात्रा में परबत्ती की प्रतिमा सबसे आगे थी। रथ पर कामेश्वर यादव सवार थे। भीड़ में वो माइक लेकर खुद कई गीत गाते हुए आगे बढ़ रहे थे। इसके साथ प्रतिमा के आगे तीन ग्रुपों के युवकों द्वारा करतब दिखाये जा रहे थे। इस कारण प्रतिमा को आगे बढ़ने में समय लग रहा था। ग्रुप में शामिल युवक तलवार, लाठी, भाला का करतब दिखाये। कई युवक मुंह से आग निकाल रहे थे। अध्यक्ष राजा मंडल ने बताया कि विसर्जन शोभायात्रा में महाकाल अखाड़ा, कृष्ण व्यायामशाला व नागा व्यायामशाला के द्वारा करतब दिखाया जा रहा था। इसकी तैयारी पिछले 15 दिनों से चल रही थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक मां काली की प्रतिमा वेदी पर बुधवार को शाम 8:30 बजे उठी थी। उसके बाद चौक पर दस बजे पहुंची। जहां समाज की महिलाओं ने मां की पूजा-अर्चना की। सभी महिलाओं को सिंदूर बांटा गया। स्टेशन चौक पर रात के 3:30 बजे पहुंच गयी थी। गुरुवार की संध्या 7:30 बजे प्रतिमा का विसर्जन किया गया।
खलीफाबाग चौक पर बुढिया व बमकाली का हुआ मिलन
खलीफाबाग चौक पर अल सुबह चार से साढ़े चार बजे के आसपास परबत्ती की बुढ़िया काली व बूढ़ानाथ की बमकाली का मिलन हुआ। दोनों प्रतिमाओं का जब मिलन हुआ तो बुढ़िया काली उत्तर मुंह व बमकाली दक्षिणी मुंह खड़ी थी। केंद्रीय काली पूजा महासमिति के उपाध्यक्ष विनय कुमार सिन्हा ने बताया कि मिलन के बाद परबत्ती की प्रतिमा विसर्जन के लिए आगे निकल गयी लेकिन बमकाली की प्रतिमा पश्चिम मुंह खड़ी हो गयी। यहां श्रद्धालुओं ने उनका दर्शन किया। फिर सबसे अंतिम प्रतिमा के रूप में विसर्जन शोभायात्रा में शामिल हुईं। इससे पूर्व खलीफाबाग चौक पर बमकाली की पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने यहां प्रसाद चढ़ाये और मां का सिंदूर अपने लिए लिया। इस दौरान यहां मेला जैसा नजारा था। कई लोग यहां बताशा प्रसाद के लिए बेचने पहुंचे थे। परबत्ती के प्रकाश ने बताया कि वो हर साल बताशा बेचने यहां सुबह ही पहुंच जाते हैं। मां का अंतिम दर्शन के लिए काफी भीड़ उमड़ी थी। इस कारण उनकी कमाई भी अच्छी रही। खिलौना बेचने में राजेश ने बताया कि वह राजमहल से दुर्गापूजा के दौरान ही भागलपुर पहुंच गये थे। अब छठ पूजा के बाद घर लौटेंगे। एक माह के दौरान अच्छी कमाई हो गयी है।