प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत लाभुकों का चयन उनकी आंखों की रेटिना से होगी। रेटिना की मदद से ही आधार कार्ड का मिलान होगा, ताकि लाभुकों के चयन में किसी तरह के फर्जीवाड़े की गुंजाइश न रहे।
नये लाभुकों के चयन के लिए जल्द ही राज्य में सर्वेक्षण शुरू होने की उम्मीद है। पीएम आवास योजना के तहत केंद्र सरकार ने साफ किया है कि एक पंचायत में किसी एक कर्मी से ही सर्वेक्षण कराना है। इसके लिए पंचायतवार कर्मियों का पंजीकरण कर लिया गया है। पंजीकृत कर्मी ही अपने मोबाइल से लाभुक की आंखों की तस्वीर लेंगे, जिसके माध्यम से आधार नंबर की पहचान हो जाएगी।
इसको लेकर एक खास सॉफ्टवेयर बनाया गया है। पंजीकृत कर्मी के मोबाइल का कोई दूसरा उपयोग नहीं कर सकेगा। घर-घर जाकर लाभुकों की पहचान संबंधित कर्मी द्वारा की जाएगी। इसी आधार पर लाभुकों की नयी सूची बनेगी, जिसपर ग्राम सभा में सहमति प्राप्त की जाएगी।
इसके बाद ही सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। ग्रामीण विकास विभाग के पदाधिकारी इस संबंध में बताते हैं कि पूर्व में बनी सूची में फर्जी नाम होने की शिकायतें मिलती थीं। आवास की स्वीकृति और राशि भुगतान के समय जांच में यह मामला पकड़ में आता था। इसको लेकर ही नया प्रावधान किया गया है।
नए सर्वेक्षण के बाद ही अनुसूचित जाति को मिलेगा आवास
नया सर्वेक्षण होने के बाद ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लाभुकों को आवास मिलेगा।
पूर्व में बनी सूची के तहत इस वर्ग के सभी लाभुकों को इस योजना के तहत आवास उपलब्ध करा दिये गए हैं। पूर्व में हुए सर्वेक्षण के बाद बनी 37 लाख की सूची बनी में उक्त वर्ग के लाभुकों की संख्या करीब साढ़े पांच लाख थी। वहीं, पूर्व की सूची के अनुसार अन्य वर्ग के लोगों के लिए अब भी 11 लाख के आवास बनाने की स्वीकृति अभी केंद्र से नहीं मिली है। हालांकि, इनमें साढ़े पांच लाख आवास की स्वीकृति देने पर केंद्र सरकार ने मौखिक रूप से सहमति प्रदान कर दी है। जल्द ही स्वीकृति का पत्र भी भेजने का आश्वासन दिया है ।