बिहार के भागलपुर जिले में एक अनोखी और विवादास्पद शादी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। मामला कंपनीबाग इलाके का है, जहां एक महिला और उसके प्रेमी के रिश्ते ने पूरे समाज को हिला कर रख दिया। यह कहानी केवल प्रेम, धोखे और सामाजिक दबाव की नहीं, बल्कि उस असमंजस की भी है, जिसमें कई जिंदगियां उलझ कर रह गईं।
दरअसल, दिल्ली में काम करने वाली निशा नाम की एक महिला और भागलपुर निवासी कुंदन दास के बीच पिछले पांच वर्षों से जान-पहचान थी। धीरे-धीरे यह जान-पहचान नजदीकियों में बदल गई और दोनों के बीच प्रेम संबंध बनने लगे। निशा पहले से शादीशुदा थी और उसके तीन बच्चे भी हैं, जिनमें सबसे बड़ा बेटा 17 साल का है। जब निशा के पति को उसकी कुंदन से नजदीकियों का पता चला, तो उसने उसे तलाक दे दिया।
पति के छोड़ देने के बाद निशा ने कुंदन के साथ रहना शुरू कर दिया। कुछ समय तो सब ठीक चला, लेकिन जब निशा ने कुंदन पर शादी का दबाव बनाना शुरू किया, तो बात बिगड़ने लगी। कुंदन खुद से पांच साल बड़ी, तीन बच्चों की मां से शादी करने को तैयार नहीं था। इस दबाव से परेशान होकर कुंदन दिल्ली छोड़कर भागलपुर वापस लौट आया।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। निशा भी कुंदन के पीछे-पीछे भागलपुर पहुंच गई और रोजाना उसके घर जाकर शादी की बात दोहराने लगी। कुंदन लगातार इनकार करता रहा और हर बार उसके सवालों से भागता रहा। बुधवार रात यह विवाद इस कदर बढ़ गया कि दोनों के बीच घंटों तक हाईवोल्टेज ड्रामा चला। गांव वाले इस पूरे घटनाक्रम के गवाह बने और आखिरकार समाज के लोगों ने इस पर हस्तक्षेप किया।
गांव वालों ने दोनों को पकड़कर एक मंदिर में ले जाकर जबरन शादी करवा दी। स्थानीय पुलिस को भी इसकी जानकारी दी गई और उनकी मौजूदगी में विवाह सम्पन्न हुआ। शादी के दौरान कुंदन का विरोध करना भी काम नहीं आया। वह बार-बार चिल्लाता रहा, “तीन बच्चों की मां से मेरी शादी मत करवाओ। मैं तो बस इसके साथ खाने-पीने और रहने तक ही साथ था। मुझे इससे प्यार नहीं है, यह मुझसे उम्र में बड़ी भी है।” लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई और निशा से उसकी शादी करवा दी गई।
शादी के बाद कुंदन का बयान और भी हैरान करने वाला था। उसने मीडिया के सामने कहा, “मैं निशा से प्यार नहीं करता था। वह मुझसे उम्र में पांच साल बड़ी है और तीन बच्चों की मां है। मैं केवल उसके साथ कुछ समय के लिए था, न कि शादी के लिए।” कुंदन ने यहां तक कहा कि उसके निशा के साथ कोई प्रेम संबंध भी नहीं थे।
यह घटना समाज में रिश्तों की बदलती परिभाषा और जिम्मेदारियों से भागने की प्रवृत्ति को उजागर करती है। जहां एक ओर महिला ने अपने प्रेम को पाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया, वहीं दूसरी ओर युवक ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। समाज ने इस मामले में हस्तक्षेप कर जो कदम उठाया, वह भी चर्चा और विवाद का विषय बन गया है।
यह पूरी घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या प्रेम केवल आनंद का माध्यम बनकर रह गया है? और जब समाज नैतिकता के नाम पर निर्णय लेता है, तो क्या उसमें संबंधित व्यक्तियों की मर्जी की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए?
भागलपुर की यह घटना केवल एक शादी की कहानी नहीं, बल्कि समाज के बदलते स्वरूप और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों की एक झलक भी है।