सहरसा जिला जहाँ गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जिले में जगह-जगह धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए जिनमें लोगों ने गुरूओं को नमन किया। इसी कड़ी में शाहपुर पंचायत स्थित सत्संग भवन में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया गया। गुरु पूर्णिमा एक विशेष पर्व है जिसमें साधक गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं,इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर आज

और उनका आभार व्यक्त करते हैं। आमतौर पर इस दिन को बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं। आध्यात्मिक प्रवचन के दौरान, साहिब जी ने जीवन में आध्यात्मिक गुरु के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के सभी पवित्र धर्म ग्रंथ और शास्त्र गुरु के महत्व तथा गुरु और शिष्य के बीच के असाधारण बंधन को निर्धारित करते हैं। जीवन के हर छोटे से छोटे क्षेत्र में हमें गुरु की आवश्यकता पड़ती है। शिष्य के जीवन में गुरु का बड़ा महत्व है।
गु कहिये अंधकार को, रु से भया प्रकाश।


अंधकार को मेट के, गुरु हृदय करे प्रकाश, गुरु नाम है तास।।
‘गुरु’ शब्द दो शब्दों- गु और रु से बना है। संस्कृत शब्द “गु” का अर्थ अंधकार या अज्ञान है, और “रु” उस अंधकार को दूर करने का प्रतीक है। इस प्रकार एक गुरु वह है जो चेतना से अज्ञान के अंधकार को दूर करता है।

 

साहिब जी ने विस्तार से बताया कि मोक्ष (मोक्ष) तभी संभव हो सकता है, जब विभिन्न दोषों काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि को नियंत्रित किया जाए। इस संसार सागर में केवल सतगुरु ही शिष्य को मोक्ष प्रदान कर सदा सदा के लिए इस भवसागर से पार करता है, जिसके बाद जीव जन्म मरण के चक्र से सदा सदा के लिए मुक्त हो जाता है।

By Indradev Kumar

Patrakar

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