झारखंड के देवघर जिले में शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध **श्रावणी मेले** का भव्य शुभारंभ हुआ। यह मेला देश के पूर्वी क्षेत्र के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में गिना जाता है। इस वर्ष यह पावन आयोजन **11 जुलाई से 9 अगस्त 2025** तक चलेगा। मेला उद्घाटन समारोह झारखंड और बिहार की सीमा से सटे **दुम्मा स्थित कांवरिया पथ** पर पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ आयोजित हुआ।

शुभारंभ कार्यक्रम में झारखंड के पर्यटन मंत्री **सुदिव्य कुमार**, ग्रामीण विकास मंत्री **दीपिका पांडे सिंह** और श्रम मंत्री **संजय प्रसाद यादव** शामिल हुए। तीनों मंत्रियों ने विधिवत पूजा-अर्चना कर मेले का उद्घाटन किया और श्रद्धालुओं के सुखद, सुरक्षित और दिव्य यात्रा की कामना की।
पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि इस वर्ष श्रावणी मेला को तकनीक और परंपरा का संगम बनाते हुए अत्यंत भव्य रूप में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया, “श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए इस बार कई अत्याधुनिक उपाय किए गए हैं। कोशिश यही है कि **लाखों भक्तों को बिना किसी परेशानी के एक दिव्य अनुभव** मिल सके।”
मंत्री ने आगे बताया कि **देवघर प्रशासन** ने इस मेले को “अप्रिय घटना-मुक्त” और “भीड़ प्रबंधन का मॉडल” बनाने के लिए कई तकनीकी नवाचारों का सहारा लिया है। इसमें शामिल हैं:
* **एआई आधारित मेला नियंत्रण कक्ष (AI-Integrated Command Center)**
* **200 एआई कैमरे**, जो भीड़ की गतिविधियों और आपात स्थितियों की निगरानी करेंगे
* **700 सामान्य सीसीटीवी कैमरे**, जो संपूर्ण परिसर में लगाए गए हैं
* **10 एआई-ड्रोन**, जो उच्च दृष्टिकोण से निगरानी करेंगे
* **40 से अधिक एलईडी टीवी**, जो सूचना और दिशा निर्देश देंगे
* **चेहरा पहचानने वाले कैमरे (Facial Recognition)**
* **एएनपीआर (Automatic Number Plate Recognition) कैमरे** छह प्रमुख स्थानों पर
* **एआई-आधारित ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम**
* **क्यूआर कोड आधारित शिकायत तंत्र**
* **डिजिटल मंडप**, जिसमें श्रद्धालुओं को ऑनलाइन सूचना मिलेगी
* **चैटबॉट हेल्पलाइन**, जो तीर्थयात्रियों की समस्याओं का समाधान करेगी
देवघर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष की सबसे खास बात यह है कि **एआई तकनीक के साथ पारंपरिक आयोजन का संतुलन** साधा गया है। “सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य, पेयजल से लेकर शौचालय और विद्युत आपूर्ति से लेकर साफ-सफाई तक हर क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया गया है,” उन्होंने कहा।
श्रावणी मेला का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। **हर साल औसतन 35 से 40 लाख श्रद्धालु** देश-विदेश से यहां आते हैं। यह मेला **श्रावण माह** के दौरान आयोजित होता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का पवित्रतम महीना माना जाता है। श्रद्धालु इस दौरान व्रत रखते हैं और **भगवान शिव** की पूजा करते हैं।
श्रावणी मेले की शुरुआत होती है **बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज से**, जहां गंगा उत्तरवाहिनी होकर बहती है। यहां श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद जल भरते हैं और 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू करते हैं। यह यात्रा ‘बोल बम’ के जयघोष के साथ **बाबा बैद्यनाथ धाम** तक पूरी होती है, जहां वे शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करते हैं।
इस पावन यात्रा को लेकर **झारखंड और बिहार सरकारों के बीच बेहतर समन्वय** स्थापित किया गया है। दोनों राज्य प्रशासन साझा रूप से श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और यातायात व्यवस्था संभाल रहे हैं।
देवघर प्रशासन ने जानकारी दी कि तीर्थयात्रियों के लिए अस्थायी शिविर, पेयजल स्टॉल, शौचालय, मोबाइल मेडिकल यूनिट, बिजली की निर्बाध आपूर्ति और कचरा प्रबंधन की विशेष व्यवस्था की गई है।
**वीआईपी दर्शन पर रोक:**
इस बार एक बड़ा निर्णय यह भी लिया गया है कि **श्रावणी मेले के दौरान कोई भी वीआईपी बिना कतार के दर्शन नहीं करेगा**। यह फैसला इसीलिए लिया गया है ताकि आम श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असमानता महसूस न हो और सभी भक्तों को समान अवसर मिले।
देवघर प्रशासन की मानें तो श्रावणी मेला न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह **झारखंड की सांस्कृतिक पहचान** का भी प्रतीक है। इस वर्ष के आयोजन में तकनीकी नवाचारों की भागीदारी इस बात का संकेत है कि **परंपरा और तकनीक का संगम** आने वाले समय में सभी धार्मिक आयोजनों की दिशा तय करेगा।
इस पावन अवसर पर देवघर प्रशासन, स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाएं और हजारों की संख्या में सेवाभावी लोग पूरे समर्पण के साथ जुटे हुए हैं। उनके प्रयासों से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि **श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ के दरबार से सुखद अनुभव लेकर लौटें**।
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