बिहार राज्य के सहकारी बैंकों में अब ग्राहकों को उनके स्वर्ण आभूषणों के बदले लोन मिल सकेगा। सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने सोमवार को इस बहुप्रतीक्षित योजना ‘गोल्ड ज्वेलरी लोन योजना’ तथा ‘पेमेंट गेटवे’ का विधिवत शुभारंभ किया। इस नई सुविधा से राज्य के लाखों उपभोक्ताओं को लाभ मिलने की उम्मीद है, जो अपनी वित्तीय आवश्यकताओं के लिए पारंपरिक बैंकिंग व्यवस्था से बाहर के साधनों पर निर्भर रहते थे।
क्या है गोल्ड ज्वेलरी लोन योजना?
इस योजना के तहत सहकारी बैंक ग्राहकों को उनके पास मौजूद स्वर्ण आभूषणों के मूल्यांकन के आधार पर ₹20 हजार से ₹5 लाख तक का ऋण प्रदान करेंगे। यह लोन पूरी तरह पारदर्शी और सुरक्षित प्रक्रिया के अंतर्गत दिया जाएगा। लोन पर ब्याज दर 9.5% से 10% के बीच होगी, जो बाजार दर की तुलना में काफी प्रतिस्पर्धात्मक मानी जा रही है। ऋण की अवधि न्यूनतम 1 माह से लेकर अधिकतम 12 माह तक हो सकती है।
सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य राज्य के आम लोगों को तत्काल नकदी की जरूरतों के लिए सुरक्षित और सरल ऋण सुविधा उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि गिरवी रखे गए आभूषणों के लिए समुचित बीमा की व्यवस्था की गई है, जिससे ग्राहक अपने कीमती गहनों की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत रह सकते हैं।
समय पर भुगतान का लाभ
इस योजना की खास बात यह है कि समय पर ऋण चुकता करने वाले ग्राहकों को ऋण अवधि बढ़वाने की सुविधा भी दी जाएगी। यानी यदि कोई ग्राहक समय से भुगतान करता है और आगे भी लोन की जरूरत होती है, तो बैंक उसकी ऋण सीमा को बढ़ा सकता है या अवधि को आगे बढ़ा सकता है।
कैसे उठाएं योजना का लाभ?
इस योजना का लाभ उठाने के इच्छुक ग्राहक अपने नजदीकी बिहार राज्य सहकारी बैंक की शाखा में जाकर संपर्क कर सकते हैं। उन्हें अपने स्वर्ण आभूषणों को बैंक में मूल्यांकन के लिए प्रस्तुत करना होगा। मूल्यांकन के बाद ऋण की राशि तय की जाएगी और आवश्यक दस्तावेजों की पूर्ति के बाद लोन तुरंत स्वीकृत किया जाएगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, जहां नकदी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती रहती है। किसान, छोटे व्यापारी, महिलाएं तथा जरूरतमंद परिवार अपने आभूषणों के आधार पर सहजता से आवश्यक धन प्राप्त कर सकेंगे।
सहकारी बैंकों द्वारा यह पहल न केवल आमजन को आर्थिक रूप से सशक्त करेगी बल्कि सहकारी बैंकिंग प्रणाली में भी विश्वास को और मजबूत करेगी।