इस साल मलमास के चलते श्रावणी मेला दो महीने का रहा। मौसम भी अच्छा रहा। बावजूद दो महीन के मेला में सिर्फ 29.46 लाख कांवरिये ही आए।

सुल्तानगंज के दोनों घाटों से लेकर कच्ची कांवरिया सड़क तक बेहतर व्यवस्था थी।

फिर भी वर्ष 2019 में आये कांवरियों का रिकॉर्ड नहीं टूट सका। 2019 में 44.43 लाख आए थे।

इस बार बेहतर यह रहा कि 2022 के मुकाबले करीब सवा चार लाख कांवरिये ज्यादा आए और 18 विदेशियों ने भी सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर पैदल कांवर यात्रा पूरी की। श्रावणी मेला के समाप्त होने के बाद पर्यटन विभाग ने रिपोर्ट जारी की है।

पहले निरंतर बढ़ती रही संख्या

सुल्तानगंज के विधायक प्रो. ललित नारायण मंडल बताते हैं, कोरोना काल से पहले निरंतर कांवरियों की संख्या बढ़ती रही है।

2020 और 2021 में कोरोना प्रोटोकॉल के चलते मेला के आयोजन की अनुमति नहीं मिली। 2022 में कोरोना से राहत मिलते ही मेला की अनुमति मिली।

लेकिन लोगों में डर बना रहा। इससे करीब सवा 25 लाख कांवरिये ही मेला में आए। भक्तों के मनोरंजन के लिये हर सोमवार को कलाकारों का कार्यक्रम हुआ।

उन्होंने कहा कि कांवरियों की कम संख्या पर प्रशासन को विचार के लिए कहा जाएगा।

कांवरियों की घटती संख्या को लेकर व्यापारी वर्ग भी चकित है। चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्रवण बाजोरिया कहते हैं, मेला में करोड़ों का कारोबार होता है।

सुल्तानगंज से कांवरिया पथ तक हजारों व्यापारियों का धंधा इस एक माह की कमाई पर सालों भर चलता है।

कपड़ा, पूजन सामग्री से लेकर होटल तक का कारोबार भीड़ पर निर्भर होता है।

कांवरियों की कम संख्या के कारणों की समीक्षा की जाएगी। कांवरियों की संख्या कैसे बढ़े, इस पर अगले साल ही बैठक में विचार किया जाएगा।

– मिथिलेश प्रसाद सिंह, एसडीसी, सामान्य शाखा।

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