गोपालपुर। नवगछिया अनुमंडल क्षेत्र में बुधवार की शाम को गंगा और कोसी नदी के जलस्तर में स्थिरता आने से जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने राहत की सांस ली है। पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश और नेपाल के तराई क्षेत्र में हुए जलस्राव से दोनों नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि देखी जा रही थी, जिससे इस्माईलपुर-बिंद टोली, कदवा, रंगरा, गोपालपुर और खरीक क्षेत्र के विभिन्न तटबंधों और स्परों पर दबाव बढ़ गया था।

बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल नवगछिया से मिली जानकारी के अनुसार इस्माईलपुर-बिंद टोली क्षेत्र में गंगा नदी खतरे के निशान 31.60 मीटर से 67 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। हालांकि पिछले 24 घंटों में जलस्तर में वृद्धि नहीं होने से विभाग ने फिलहाल राहत की सांस ली है। वहीं मदरौनी में कोसी नदी 30.42 मीटर पर बह रही है, जो खतरे के निशान 30.48 मीटर से छह सेंटीमीटर नीचे है। विभाग के अभियंताओं ने बताया कि यदि अगले 48 घंटों तक जलस्तर स्थिर रहता है, तो तटबंधों और स्परों पर बना दबाव कम हो जाएगा।
बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि इस्माईलपुर-बिंद टोली तटबंध पर पहले से जीओटी फिल्टर, बालू भरी बोरी और पत्थर की बिछाई कर एहतियातन सुरक्षा उपाय किए गए हैं। स्पर संख्या सात और आठ के समीप जहां मिट्टी के धंसान और रिसाव की सूचना मिली थी, वहां भी मरम्मत कार्य कराया गया है। अभियंताओं की टीम लगातार निरीक्षण कर संवेदनशील स्थानों पर चौकसी बनाए हुए है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि गंगा और कोसी के जलस्तर में पिछले कुछ दिनों से बढ़ोतरी ने चिंता बढ़ा दी थी। कई स्थानों पर निचले इलाकों में पानी प्रवेश कर गया है, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने की तैयारी करनी पड़ी। इस्माईलपुर, बिंद टोली और मदरौनी क्षेत्र के ग्रामीण बाढ़ की स्थिति को देखते हुए नाव और ऊंचे स्थान पर रहने की व्यवस्था कर रहे हैं।
ग्रामीण संतोष मंडल ने बताया कि बाढ़ नियंत्रण विभाग की टीम दिन-रात निरीक्षण कर रही है, परंतु लोगों में अभी भी भय बना हुआ है। इस बार शुरुआती दिनों में ही जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी ने किसानों और मछुआरों की चिंता बढ़ा दी थी। कई किसानों की मक्के और सब्जियों की फसल जलमग्न हो गई है। वहीं मछुआरों का कहना है कि पानी अधिक होने से नदी में बहाव तेज हो गया है, जिससे जाल लगाने में कठिनाई हो रही है।
बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल ने अपील जारी कर कहा है कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें और विभाग के दिशा-निर्देश का पालन करें। किसी भी प्रकार की तटबंध कटाव या रिसाव की जानकारी तुरंत स्थानीय विभागीय पदाधिकारियों या नजदीकी बाढ़ नियंत्रण कैम्प को दें, ताकि समय पर मरम्मत कार्य किया जा सके।
हालांकि वर्तमान में जलस्तर स्थिर होने से स्पर और तटबंधों पर दबाव में कमी आने की संभावना जताई जा रही है। परंतु विभाग का कहना है कि बाढ़ का समय अभी समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए चौकसी और सतर्कता ही सुरक्षा का उपाय है। बाढ़ नियंत्रण विभाग, स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम क्षेत्र में लगातार गश्ती और निरीक्षण कर रही है।
यदि अगले कुछ दिनों तक गंगा और कोसी के जलस्तर में स्थिरता बनी रहती है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ की गंभीर स्थिति उत्पन्न होने से बचने में मदद मिलेगी। वहीं विभाग ने कहा कि तटबंध और स्पर की निगरानी तथा मरम्मत कार्य बारिश और जलस्तर की स्थिति को देखते हुए जारी रहेगा।
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