देश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लग गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 4 साल पहले सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की शपथ ली थी. अब अब 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लग गया है.

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर का कहना है कि दुनिया में हर साल 300 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें से 14 मिलियन मीट्रिक टन समुद्र में फेंक दिया जाता है.

भारत में कितने प्लास्टिक कचरे का होता है उत्पादन?

भारत में  सालाना 3.5 मिलियन मीट्रिक टन और रोजाना करीब  9,588 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है. टॉक्सिक लिंक्स NGO का कहना है कि दिल्ली में 2,30,525 टन प्रति वर्ष प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. वहीं हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक गुड़गांव और फरीदाबाद में 5% प्लास्टिक कचरा एसयूपी है.

3.5 लाख मिलियन मैट्रिक टन सालाना

9,589 मिलियन मैट्रिक टन रोजाना

किन उत्पादों पर लगा है बैन?

ईयर बड्स, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडिया, थर्मोकोल की सजावट सामग्री, कप, प्लेट, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रां, ट्रे, मिठाई के डिब्बे की पैकेजिंग में यूज होने वाली फिल्म, सिगरेट पैकेट, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैनर, 75 माइक्रोन से पतली कैरीबैग.

प्लास्टिक बैन नियम का उल्लंघन करने मिलेगी ये सजा

ईपी अधिनियम के तहत 5साल तक की जेल या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या  दोनों हो सकते हैं. लगातार उल्लंघन करने पर रोजाना ₹5000 तक अतिरिक्त जुर्माना बढ़ाया जा सकता है.

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