बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल कार्यालय नक़ालिया के अंतर्गत इस्माईलपुर-बिंद टोली के बीच गंगा नदी के तेज कटाव को रोकने के लिए कटाव निरोधी कार्य तेजी से किया जाना आवश्यक है। इस दिशा में विभाग द्वारा चार अलग-अलग ठेकेदारों को लगभग 64 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन कार्यों का उद्देश्य बाढ़ के दौरान होने वाले तटबंधों के क्षरण को रोकना और ग्रामीण इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
शिवेगी कंस्ट्रक्शन का 38 करोड़ का प्रोजेक्ट
इस परियोजना के सबसे बड़े हिस्से का कार्य शिवेगी कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया है। इस कंपनी को 38 करोड़ रुपये की लागत से कट प्वाइंट पर 125 मीटर में मिट्टी भराई, 242 मीटर लंबाई में सीट पाइलिंग, कंट्री साइड में 242 मीटर में मेवियन जिओ बैग पोचिंग, 10.5 मीटर में चौड़ा बोल्डर रिवेटमेंट कार्य तथा पिछले वर्ष बाढ़ से क्षतिग्रस्त स्पर संख्या आठ के पुनर्स्थापन (रीस्टोरेशन) का कार्य करना है। हालांकि, अब तक इस कार्य की प्रगति मात्र 10 से 15 प्रतिशत के बीच रही है, जो चिन्ता का विषय है।
जयप्रकाश साह की जिम्मेदारी और धीमी प्रगति
दूसरे ठेकेदार जयप्रकाश साह को स्पर आकत से क्षतिग्रस्त हुए तटबंध के 720 मीटर और 600 मीटर में बोल्डर पिचिंग तथा 120 मीटर में जिओ बैग हैंगिंग का कार्य सौंपा गया है। अब तक इस कार्य की प्रगति लगभग 25 से 30 प्रतिशत ही हो सकी है। यह कार्य समय पर पूरा न होने की स्थिति में तटबंधों की सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
एचबीएन कंपनी का कार्य
एचबीएन कंपनी को स्पर संख्या नौ के अपस्ट्रीम भाग में लूप पर 145 मीटर क्षेत्र में बोल्डर पिचिंग का कार्य सौंपा गया है। इस कार्य की कुल लागत लगभग छह करोड़ 15 लाख रुपये है। यह कार्य नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने और स्पर की मजबूती के लिए अत्यंत आवश्यक है।
दिनेश कुमार चौधरी द्वारा हो रहा स्पर और नगर संख्या का पुनर्निर्माण
चौथे ठेकेदार दिनेश कुमार चौधरी को दो करोड़ 75 लाख रुपये की लागत से नगर संख्या का एन का रीस्टोरेशन तथा स्पर संख्या सात के डाउनस्ट्रीम भाग में रिवेटमेंट का पुनर्निर्माण कार्य सौंपा गया है। यह कार्य सबसे बेहतर स्थिति में है, जिसकी प्रगति अब तक लगभग 83 प्रतिशत बताई जा रही है।
स्थानीय लोगों की चिंता और सुझाव
तिनटंगा करारी पंचायत के पूर्व मुखिया गिरधारी पासवान ने बताया कि स्पर संख्या आठ के निकट कार्य की रफ्तार काफी धीमी है। उन्होंने कहा कि कार्य की गति बढ़ाकर युद्ध स्तर पर कार्य किए जाने की आवश्यकता है, तभी इसे समय पर पूर्ण किया जा सकता है। उन्होंने विभागीय अभियंताओं से मांग की कि वे निगरानी व्यवस्था को और सख्त बनाएं और नियमित निरीक्षण करें ताकि कार्य की गुणवत्ता भी बनी रहे और समय पर पूरा हो।
समस्याएँ और आवश्यक कदम
इस परियोजना की धीमी प्रगति से यह स्पष्ट है कि ठेकेदारों की ओर से पर्याप्त संसाधन और जनशक्ति की तैनाती नहीं की जा रही है। कुछ स्थानों पर तकनीकी कारणों से भी विलंब हो रहा है, लेकिन यह विभाग की जिम्मेदारी है कि वह इन बाधाओं को शीघ्र दूर करे। साथ ही, जनता के हित में यह कार्य प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण होना चाहिए ताकि आगामी मानसून से पहले तटबंध पूरी तरह सुरक्षित हो जाएं।
निष्कर्ष
64 करोड़ की यह परियोजना बाढ़ के खतरे से जूझ रहे ग्रामीण इलाकों के लिए सुरक्षा कवच बन सकती है, यदि इसे समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए। फिलहाल, अधिकांश कार्यों की प्रगति निराशाजनक है, जबकि सिर्फ एक ठेकेदार का कार्य संतोषजनक स्थिति में है। विभागीय अधिकारियों को सख्त निगरानी और ठोस कार्रवाई कर कार्य को गति देने की जरूरत है, ताकि कटाव रोधी उपायों का लाभ वास्तव में प्रभावित इलाकों तक पहुंच सके।