पटना: बिहार के चर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘हिंद सेना’ का गठन किया है। मंगलवार को पटना के आर ब्लॉक स्थित एक होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इस पार्टी की घोषणा की। उन्होंने बताया कि वे खुद ‘हिंद सेना’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
शिवदीप लांडे ने कहा कि पिछले एक महीने में उन्होंने राज्य के सभी जिलों का भ्रमण किया और समाज के विभिन्न तबकों – युवा, महिलाएं, बुजुर्ग – से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को नजदीक से समझा। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी बिहार के कई क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंची हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड में अब भी पानी की गंभीर किल्लत है, जबकि रोहतास जिले के लगभग 40 गांवों के लोग हर साल अपने पशुओं के साथ गांव छोड़ने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि आम लोगों की स्थिति इतनी खराब है कि वे अपनी मर्जी से कपड़े भी नहीं खरीद सकते और दो वक्त की रोटी के लिए जूझ रहे हैं।
पूर्व आईपीएस लांडे ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद बिहार में सकारात्मक बदलाव लाना है, जिसे लोकतांत्रिक तरीके से, चुनाव जीतकर ही संभव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे सेना और पुलिस के जवान देश के लिए लड़ते हैं, वैसे ही उनकी पार्टी के कार्यकर्ता आम आदमी के हक के लिए संघर्ष करेंगे।
शिवदीप लांडे ने बताया कि कई राजनीतिक दलों ने उन्हें बड़े-बड़े प्रस्ताव दिए थे, जिनमें राज्यसभा सीट और मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने का ऑफर भी शामिल था। लेकिन उन्होंने इन प्रस्तावों को ठुकराकर खुद की पार्टी बनाने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि वे बिहार के युवाओं को सशक्त और समर्थ बनाना चाहते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में लगभग 60 लाख युवा ऐसे हैं जिनके पास डिग्रियां तो हैं, लेकिन रोजगार नहीं। उनकी पार्टी इस समस्या का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करेगी।
‘हिंद सेना’ के तीन मुख्य सिद्धांत होंगे – मानवता, न्याय और सेवा। उन्होंने बताया कि पार्टी जात-पात से ऊपर उठकर काम करेगी। पार्टी का लोगो खाकी रंग में है, जिसमें तीन लकीरें दर्शाई गई हैं, जो इसके तीन मूल सिद्धांतों को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाती हैं।
शिवदीप लांडे की यह राजनीतिक पारी बिहार की राजनीति में नई हलचल मचा सकती है, खासकर युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता को देखते हुए।
