सहरसा जिला जहां बिहार सरकार के द्वारा शत प्रतिशत नामांकित बच्चे को विद्यालय तक लाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन मुरली बसंतपुर पंचायत स्थित मुरली भरना नवसृजित प्राथमिक विद्यालय गुलाम रसुल टोला मुरली भरना विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति काफी कम देखी गई। वही विद्यालय के दो कमरे होने के बावजूद एक कमरे में ही वर्ग 1 से लेकर 5 वर्ग के विद्यार्थी एक साथ बैठकर कैसी पढ़ाई करते हैं,
इसका अंदाज लगाया जा सकता है। स्थानिय ग्रामीण ने आरोप लगाते हुए बताया कि सरकार के द्वारा सारी सुविधा मुहैया कराने के बावजूद विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा बच्चों की पढ़ाई में काफी लापरवाही बढ़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि विद्यालय के परिसर में मवेशी बंधी रहती है वही आगे जंगल रहने के कारण बच्चों को बहुत दिक्कत होती है।
साथ ही विद्यालय में शौचालय तो बना हुआ है लेकिन गंदगी के कारण इसे बंद ही रखा गया है। शौचालय के अभाव में बच्चों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता पड़ता है।उन्होंने शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को बार-बार ध्यानाकर्षण कराने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।विद्यालय के प्रधानाध्यापक नागेश्वर रजक ने बताया कि विद्यालय में तीन सहायक शिक्षक हैं वही 98 बच्चे नामांकित है।
जिसमें प्रतिदिन 20 से 25 बच्चों की उपस्थिति प्रतिदिन होती है। वही कभी-कभी इसकी संख्या 50 से 60 तक भी पहुंच जाती है।उन्होंने कहां की पिछड़ा अल्पसंख्यक दलित के बच्चों के पढ़ाई के साथ साथ सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं। लेकिन अभिभावको की लापरवाही भी विद्यालय के व्यवस्थित होने में बाधक बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा बच्चों के अभिभावकों के खाते में पोशाक योजना एवं किताब कॉपी के लिए पैसा भेजा गया है,
लेकिन अभिभावक अपने बच्चों को पोशाक नहीं दे रहे हैं। ग्रामीण मोहम्मद अशराफुल ने बताया कि स्कूली बच्चों को सरकारी मेनू के अनुसार मध्यान भोजन भी नहीं दिया जा रहा है। वही बच्चों को फल फूल अंडा एवं अन्य पौष्टिक आहार मैं भी कटौती की जा रही है। वही विद्यालय में बेंच डेक्स नहीं रहने के कारण बच्चों को मजबूरन जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। उन्होंने विद्यालय व्यवस्था को सुधारने को लेकर अभिभावक एवं विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक प्रत्येक माह कराए जाने की मांग की है।