**भागलपुर (सुल्तानगंज):** फतेहपुर गांव में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जे का गंभीर मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि गांव के कुछ दबंगों ने आपसी साठगांठ कर मंदिर की जमीन पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए रजिस्ट्री और म्यूटेशन करवा लिया है। इस मामले को लेकर फतेहपुर गांव के निवासी कारु रजक ने सुल्तानगंज थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायतकर्ता कारु रजक ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि शिव मंदिर की कुल सात एकड़ 90 डिसमिल जमीन है। यह जमीन वर्ष 1946 में गांव के प्रतिष्ठित नागरिकों—चन्द्री देवी, सुखदेव मंडल, सुखदेव सिंह, रामेश्वर साह, मोतीलाल चौधरी, बैजनाथ मंडल, ज्वाला प्रसाद सिंह, उमा देवी, कुमारी चंद्रकला, कुमार ताती, कैलाश चौधरी, प्यारे मरार, बंगाली मंडल और अन्य लोगों द्वारा मंदिर को दान स्वरूप दी गई थी।
**मंदिर की भूमि पर कब्जे का आरोप**
आरोप है कि गांव के ही संजय मंडल, प्रशांत कुमार मंडल, सदानंद मंडल समेत अन्य 10 अज्ञात लोगों ने मिलकर उस पवित्र भूमि का फर्जी रजिस्ट्री और म्यूटेशन करा लिया है। कारु रजक ने कहा कि यह जमीन वर्षों से धार्मिक कार्यों और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए प्रयुक्त होती आ रही थी, लेकिन दबंगों ने अपने स्वार्थ के लिए इसे हड़पने की साजिश रच डाली।
**स्थानीय लोगों में आक्रोश**
फतेहपुर गांव में इस घटना के सामने आने के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर की जमीन पर किसी भी प्रकार का निजी कब्जा न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह धार्मिक आस्था के साथ भी खिलवाड़ है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
**पुलिस कर रही मामले की जांच**
सुल्तानगंज थाना प्रभारी ने बताया कि कारु रजक की ओर से मिली शिकायत के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस जमीन से जुड़े दस्तावेजों की वैधता की जांच कर रही है। थाना प्रभारी ने कहा, *”जांच में यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मंदिर की जमीन पर किसी भी तरह का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”*
**भू-माफिया के हौसले बुलंद**
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के दबंग लंबे समय से मंदिर की जमीन पर कब्जा जमाने की फिराक में थे। जैसे ही मौका मिला, उन्होंने आपसी मिलीभगत कर जमीन की फर्जी रजिस्ट्री और म्यूटेशन करवा लिया। यह पूरा मामला दर्शाता है कि किस तरह भू-माफिया धार्मिक स्थलों की जमीन पर भी अपनी नजर गड़ाए हुए हैं।
**मंदिर प्रबंधन समिति का बयान**
फतेहपुर शिव मंदिर की देखरेख करने वाली समिति के सदस्यों ने भी इस अवैध कब्जे की निंदा की है। समिति के एक सदस्य ने बताया कि मंदिर की जमीन पर कब्जा करना पूरे गांव की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने जैसा है। उन्होंने कहा, *”मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं होता, यह हमारी संस्कृति और परंपराओं का केंद्र होता है। हम प्रशासन से गुजारिश करते हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जाए और मंदिर की जमीन को मुक्त कराया जाए।”*
**ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी**
मामले के समाधान में देरी होने पर ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यदि मंदिर की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त नहीं कराया गया तो वे सड़क जाम और धरना-प्रदर्शन करने को विवश होंगे। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि वे इसके लिए जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाएंगे।
**कानूनी पहलू और संभावित कार्रवाई**
कानूनी जानकारों के अनुसार, धार्मिक स्थलों की संपत्तियों पर किसी भी तरह का निजी स्वामित्व अवैध है। यदि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन का म्यूटेशन और रजिस्ट्री कराई गई है, तो दोषियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (फर्जी दस्तावेज का प्रयोग) के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
**प्रशासन की भूमिका पर सवाल**
ग्रामीणों ने यह भी सवाल उठाया है कि आखिर बिना प्रशासनिक मिलीभगत के इतनी बड़ी जमीन का म्यूटेशन और रजिस्ट्री कैसे संभव हुई। उनका कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच तभी संभव होगी जब इसमें शामिल सभी पक्षों की जवाबदेही तय की जाए।
**भविष्य की राह**
फिलहाल पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है। जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि मंदिर की जमीन पर किया गया रजिस्ट्री और म्यूटेशन वैध था या नहीं। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषियों पर कठोर कार्रवाई होना तय है।
**निष्कर्ष**
फतेहपुर शिव मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जे का यह मामला न केवल धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ है, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था और कानून व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है। देखना यह होगा कि प्रशासन किस प्रकार से इस संवेदनशील मामले का समाधान करता है और क्या पीड़ितों को न्याय मिल पाता है या नहीं।
