बिहार की सियासत में कभी एक-दूसरे के विरोधी माने जाने वाले दो प्रमुख नेता—विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान—एक भावुक अवसर पर लंबे समय बाद एक साथ नजर आए। यह मुलाकात भले ही कुछ ही सेकंड की रही हो, लेकिन इसका संदेश काफी गहरा और मानवीय था। दोनों नेताओं की यह मुलाकात नवादा जिले के कौआकोल प्रखंड के शहीद मनीष कुमार को श्रद्धांजलि देने के दौरान हुई।
शहीद मनीष कुमार लद्दाख के कारगिल सेक्टर में देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। दुश्मनों से मुकाबले में उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। इसी कारण उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई राजनीतिक व सामाजिक हस्तियां नवादा पहुंचीं। इस दौरान चिराग पासवान शहीद के परिजनों से मिलने पहुंचे थे, जबकि तेजस्वी यादव श्रद्धांजलि देकर लौट रहे थे। तभी दोनों नेताओं का आमना-सामना हुआ और उन्होंने गर्मजोशी से हाथ मिलाकर एक-दूसरे का हालचाल जाना।
हालांकि यह मुलाकात कुछ ही पल की थी, लेकिन यह स्पष्ट कर गई कि देश की सेवा और शहीदों के सम्मान के मुद्दे पर सियासत से ऊपर उठकर सभी नेता एकजुट हो सकते हैं। इस मौके पर चिराग पासवान ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मनीष कुमार ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। पूरा देश उनके बलिदान पर गर्व करता है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि उनका एक परिवार भी है, जिसकी जिम्मेदारी अब हम सबकी है—सरकार की भी और समाज की भी।”
चिराग ने आगे कहा कि शहीदों को लेकर किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि शहीद मनीष के परिवार की जो भी मांगें होंगी, वे उन्हें केंद्र सरकार के समक्ष रखेंगे और पूरा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शहीदों के परिजनों को हरसंभव सहायता मिलनी चाहिए ताकि वे खुद को अकेला महसूस न करें।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी शहीद मनीष को श्रद्धांजलि दी और शहीदों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को लेकर एक अहम मुद्दा उठाया। तेजस्वी ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मांग की है कि अर्धसैनिक बलों को भी भारतीय सेना की तरह “शहीद” का दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा कि सीमा की सुरक्षा में अर्धसैनिक बल भी बराबरी से योगदान दे रहे हैं, लेकिन कई बार उन्हें वो सम्मान और सुविधा नहीं मिलती, जो सेना के जवानों को मिलती है।
तेजस्वी ने अपने पत्र में लिखा कि कई बार युद्धजनित जख्मों के कारण अर्धसैनिक बलों के जवानों की मृत्यु तत्काल नहीं होती, लेकिन उनका बलिदान कम नहीं होता। ऐसे सभी वीरों को भी ‘शहीद’ का दर्जा मिलना चाहिए और उनके नाम नेशनल वॉर मेमोरियल में दर्ज होने चाहिए।
शहीद मनीष कुमार की बहादुरी की कहानी पूरे नवादा जिले को गर्व से भर देती है। उनका गांव कौआकोल प्रखंड इस बात का गवाह बन गया है कि देश की रक्षा के लिए बिहार के बेटे हर समय तैयार हैं। उनके बलिदान ने पूरे देश को एक बार फिर यह याद दिलाया है कि हम जिस शांति में जीते हैं, उसके पीछे हमारे वीर जवानों का त्याग होता है।
तेजस्वी यादव और चिराग पासवान की यह मुलाकात भले ही राजनीतिक दृष्टि से प्रतीकात्मक हो, लेकिन इसमें एकता, संवेदनशीलता और राष्ट्रीय भावना की झलक दिखी। यह साबित करता है कि सच्चे देशभक्तों की पहचान उनके दल से नहीं, बल्कि उनके कर्तव्यों और मानवीय दृष्टिकोण से होती है। जब बात देश की सुरक्षा और शहीदों के सम्मान की हो, तो राजनीति की दीवारें भी खुद-ब-खुद ढह जाती हैं।
यह मुलाकात और शहीद मनीष कुमार की शहादत आने वाले समय में न केवल सरकार को बल्कि समाज को भी अपने कर्तव्यों की याद दिलाती रहेगी।