गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी चरम पर पहुंच चुकी है। चुनाव आयोग की ओर से 11 नवम्बर को मतदान तिथि घोषित होते ही यहां के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। सत्तारूढ़ एनडीए, महागठबंधन और जनसुराज — तीनों ही प्रमुख गठबंधन अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पाए हैं। इस वजह से प्रत्याशियों में बेचैनी और संशय का माहौल बना हुआ है।

गोपालपुर सीट पर पिछले दो दशकों से एनडीए गठबंधन के तहत जदयू का वर्चस्व कायम रहा है। लेकिन इस बार जदयू के भीतर टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पार्टी में कई प्रबल दावेदार मैदान में हैं, जिनमें पूर्व विधायकों से लेकर युवा चेहरों तक का नाम चर्चा में है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए नए समीकरणों पर विचार कर रहे हैं। वहीं भाजपा के कुछ स्थानीय नेता भी इस सीट पर दावेदारी पेश कर पार्टी नेतृत्व से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

दूसरी ओर महागठबंधन में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। लगातार तीन बार राजद उम्मीदवार के पराजित होने के बाद इस बार सीट शेयरिंग को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। सूत्रों का कहना है कि राजद के बजाय यह सीट कांग्रेस या वाम दलों में से किसी को दी जा सकती है। हालांकि स्थानीय स्तर पर राजद के पुराने उम्मीदवार और कार्यकर्ता अभी भी मैदान में डटे हुए हैं और दावा कर रहे हैं कि जनता इस बार बदलाव के मूड में है।

इन सबके बीच निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनावी मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कई संभावित निर्दलीय प्रत्याशी गांव-गांव जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये प्रत्याशी आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया का सहारा लेकर प्रचार में नयापन ला रहे हैं। फेसबुक लाइव, इंस्टाग्राम रील और यूट्यूब प्रसारण के जरिये ये खुद को गोपालपुर का सच्चा तारणहार बताकर जनता से आशीर्वाद मांग रहे हैं।

कुल मिलाकर, गोपालपुर विधानसभा का चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प होने वाला है। जहां एक ओर एनडीए और महागठबंधन अपने उम्मीदवारों की घोषणा को लेकर रणनीति बना रहे हैं, वहीं निर्दलीयों ने मैदान में पहले से ही लय पकड़ ली है। अब देखना यह होगा कि गोपालपुर की जनता 11 नवम्बर को किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है।

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