आईएमए जहां सभी डॉक्टरों का संगठन है वहीं बीएचएसए अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला के सदर अस्पताल तक काम करने वाले सरकारी डॉक्टरों का यूनियन है।

नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बिनोद कुमार सिंह के निलंबन के बाद नीतीश कुमार की सरकार और खास तौर पर डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को बिहार हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन का भी साथ मिल गया है। आईएमए जहां सभी डॉक्टरों का संगठन है वहीं बीएचएसए अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला के सदर अस्पताल तक काम करने वाले सरकारी डॉक्टरों का यूनियन है। बीएचएसए के महासचिव डॉक्टर रंजीत कुमार ने ड्यूटी से गायब डॉक्टरों के मसले पर आईएमए के विरोध में सुर मिलाते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव को अधूरी बात बताई जा रही है। तेजस्वी यादव ने कहा था कि 705 सरकारी डॉक्टर बिना ड्यूटी के सरकार से वेतन ले रहे हैं और इनमें कुछ तो 12 साल से अस्पताल नहीं गए हैं।

रंजीत कुमार ने कहा कि  ये तो एकदम विरोधाभासी बात है कि एक तरफ सिविल सर्जन, डिप्टी मेडिकल सुपरिटेन्डेंट और चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टरों की अनुपस्थिति की रिपोर्ट दे रहे हैं और दूसरी तरफ गैरहाजिरी के बाद भी उनके वेतन की सिफारिश कर रहे हैं। बीएचएसए महासचिव ने दावा किया कि तेजस्वी यादव ने डॉक्टरों की जिस अबसेंट लिस्ट की बात कही है उसमें शामिल कई डॉक्टरों ने इस्तीफा दे रखा है लेकिन विभाग उसे मंजूर नहीं कर रहा है। उन्होंने साथ ही ये भरोसा दिया कि एसोसिएशन कभी भी उन डॉक्टरों का पक्ष नहीं लेगा जो ड्यूटी से गायब रहते हैं। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के बीएचएसए मेंबर डॉक्टर अब्बास हसरत बताते हैं कि 705 गायब डॉक्टरों में लगभग 160 डॉक्टर तो ऐसे हैं सरकार से परमिशन लेकर पीजी या ऐसी ही कोई पढ़ाई कर रहे हैं। बहुतों ने इस्तीफा दे दिया है और प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। कुछ तो स्वास्थ्य मंत्रालय में ही काम कर रहे हैं। इन सबके नाम गैरहाजिर डॉक्टरों की लिस्ट में शामिल हैं। डॉक्टर हसरत ने बताया कि गैरहाजिर डॉक्टरों की सूची में डॉक्टर बिपिन कुमार का भी नाम है जो इस्तीफा देकर आरजेडी के ही टिकट पर 2020 का विधानसभा चुनाव लड़े थे।

दूसरी तरफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार से तेजस्वी यादव के बयान पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग कर दी है। आईएमए इस बात से भी नाराज है कि तेजस्वी यादव ने एनएमसीएच के सुपरिटेन्डेंट को सस्पेंड करने से पहले कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया और ना ही स्पष्टीकरण का मौका दिया। बीएचएसए महासचिव रंजीत कुमार कहते हैं कि सरकार को इस पर गंभीरता से आत्मचिंतन करना चाहिए कि डॉक्टर सरकारी सेवा में रहने के लिए क्यों इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को डॉक्टरों का वेतन-भत्ता आकर्षक बनाना चाहिए, ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग पर प्रोत्साहन देना चाहिए, सुरक्षा देनी चाहिए और गांवों में विकास को उस लेवल पर लाना चाहिए जहां कोई डॉक्टर अपने परिवार के साथ रहकर इलाज करना चाहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *