नवगछिया अनुमंडल क्षेत्र के रंगरा चौक प्रखंड अंतर्गत ज्ञानीदास टोला दियारा में गंगा नदी के किनारे रविवार की सुबह एक डॉल्फिन की मौत से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। गंगा के संरक्षण और डॉल्फिन की सुरक्षा को लेकर लगातार दावा करने वाले वन विभाग और डॉल्फिन मित्रों पर अब सवाल उठने लगे हैं। मृत डॉल्फिन को नदी किनारे झल्लू दास टोला स्थित दुर्गा मंदिर विषारी स्थान के उत्तर किनारे पर स्थानीय ग्रामीणों ने देखा। इसके बाद इसकी सूचना वन विभाग और डॉल्फिन मित्रों को दी गई। सूचना मिलते ही रंगरा चौक प्रखंड और नवगछिया वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।
ग्रामीणों ने बताया कि गंगा नदी में इन दिनों पानी का स्तर बढ़ने और तेज धार होने के कारण डॉल्फिनों की आवाजाही बढ़ गई है। वहीं, प्रजनन का समय होने की वजह से डॉल्फिनें कम गहराई वाले क्षेत्रों में आ जाती हैं, जिससे उनके घायल होने और उलझने की संभावना भी बढ़ जाती है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि संभवतः मछली पकड़ने में प्रयोग होने वाले जाल में फंसकर डॉल्फिन की मौत हुई होगी, हालांकि अभी तक इसके पीछे का असली कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों ने मृत डॉल्फिन को गंगा नदी से निकालकर जांच और पोस्टमार्टम के लिए सुंदरवन, भागलपुर वन विभाग कार्यालय भेज दिया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही डॉल्फिन की मौत के सही कारण का पता चल सकेगा। डॉल्फिन मित्रों का कहना है कि गंगा में डॉल्फिन की संख्या कम हो रही है और इनकी मृत्यु की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए ताकि इनकी प्रजनन सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
गौरतलब है कि गंगा डॉल्फिन को देश का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है और इनकी सुरक्षा के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद गंगा नदी में मछली पकड़ने के दौरान बिछाए गए अवैध जाल, पानी में प्रदूषण और आवाजाही के कारण डॉल्फिनों की जान को खतरा बना रहता है। पर्यावरणविदों का कहना है कि डॉल्फिन की मौत चिंताजनक है और यदि इसके कारणों का सही तरीके से विश्लेषण कर कार्रवाई नहीं की गई तो यह गंगा नदी की जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
वन विभाग ने कहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी यदि यह साबित होता है कि मौत का कारण मानवीय लापरवाही या अवैध गतिविधियों से जुड़ा है। वहीं, ग्रामीणों ने डॉल्फिन की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए वन विभाग से गंगा नदी में निगरानी बढ़ाने और डॉल्फिन मित्रों की संख्या में इजाफा करने की मांग की है। साथ ही, गंगा में डॉल्फिन के प्रजनन काल के दौरान विशेष निगरानी और मछली पकड़ने में इस्तेमाल हो रहे जालों पर कार्रवाई की मांग भी की है ताकि गंगा नदी में डॉल्फिनों का संरक्षण बेहतर तरीके से किया जा सके।
इस घटना ने गंगा में जल-जीवों की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद वन विभाग की अगली कार्रवाई पर सबकी नजर टिकी हुई है।
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