तटबंध

इस्माईलपुर-बिंद टोली तटबंध के स्पर संख्या नौ के डाउनस्ट्रीम में बीते दिनों 55-60 मीटर तटबंध ध्वस्त हो गया था। एनसी में बालू भरी बोरियों से शनिवार देर रात से रिस्टोरेशन का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन अब तक पूरी तरह मरम्मत नहीं हो सकी है। इस स्थान पर दरारें पड़ने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया है। अब तार की जाली में बालू भरी बोरियों और बांस के सहारे रिस्टोरेशन का कार्य किया जा रहा है।

तटबंध

दूसरी ओर कट पॉइंट व स्पर संख्या आठ पर दर्जनों स्थानों पर बड़े-बड़े नैन कट होने से नवनिर्मित तटबंध और स्पर की स्थिति नाजुक बनी हुई है। स्पर संख्या सात के डाउनस्ट्रीम में मछली घाट से लेकर कट पॉइंट तक तटबंध की स्थिति बेहद दयनीय है। बीरनगर और बुद्धिचक के ग्रामीणों ने बताया कि आदत के पास पानी का दबाव अधिक होने से कभी भी तटबंध टूट सकता है। बीरनगर में स्थायी बिजली ठाकुर के घर के सामने बोल्डर पैकिंग धंस गई है। ग्रामीणों ने रविवार को ही इसकी जानकारी कैग कार्यालय को दी थी, लेकिन अब तक मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो सका है।

कट पॉइंट पर भी तटबंध पर प्रोटेक्शन कार्य नहीं होने से स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है। गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, ऐसे में विभागीय अभियंताओं की थोड़ी सी भी लापरवाही पिछले वर्ष जैसी स्थिति पैदा कर सकती है। गंगा नदी की बाढ़ का पानी बिंद टोली गांव में प्रवेश कर जाने से 100-150 परिवार प्रभावित हो गए हैं। सुकटिया बाजार पंचायत के अजमाबाद और पकरा टोला में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क पर रिसाव होने से सड़क संपर्क भंग होने की आशंका है। ग्रामीणों ने रिसाव को तत्काल बंद करने की मांग की है ताकि आवागमन बाधित न हो।

गंगा नदी में जलस्तर में वृद्धि के कारण तटबंध पर पानी का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। खेतों में अस्थायी बासा बनाकर रह रहे किसान और पशुपालक अब अपने मवेशियों के साथ सुरक्षित स्थानों पर लौटने लगे हैं। हालांकि सोमवार को गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि की रफ्तार में थोड़ी कमी आई है, लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है। सोमवार सुबह इस्माईलपुर-बिंद टोली में गंगा का जलस्तर 32.02 मीटर था, जो शाम तक बढ़कर 32.06 मीटर तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान से 48 सेंटीमीटर अधिक है।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन और सिंचाई विभाग से मांग की है कि तटबंध की मरम्मत और प्रोटेक्शन कार्य को तत्काल पूरा किया जाए ताकि संभावित बाढ़ की स्थिति में जान-माल की रक्षा हो सके। ग्रामीणों ने बताया कि यदि जल्द स्थिति नियंत्रित नहीं की गई, तो गांवों में पानी घुसने से हालात बिगड़ सकते हैं। प्रशासन की सक्रियता और त्वरित कार्रवाई ही संभावित खतरे को टाल सकती है।

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