बिहार की नीतीश सरकार में एक ऐसे शख्स को मंत्री बनाया गया है जिसने राजनीति में आने के लिए सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. रोहतास जिला के कोचस प्रखंड के चितैनी पंचायत अंतर्गत मध्य विद्यालय, सेलास के शिक्षक रह चुके मुरारी प्रसाद गौतम नीतीश कुमार सरकार में पंचायती राज मंत्री बने हैं. इनके मंत्री पद पर शपथ लेते ही समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. उनके पिता महेंद्र राम कोचस के चितैनी पंचायत मुखिया थे. पांच भाइयों में मुरारी प्रसाद गौतम दूसरे नंबर पर हैं.

मुरारी ने पांचवी तक की पढ़ाई सासाराम के शिशु मंदिर नामक निजी विद्यालय से की थी. उसके बाद पटना के कंकड़बाग स्थित एसपीडी हाई स्कूल में आगे की पढ़ाई की. मुरारी प्रसाद गौतम के बड़े भाई ओमप्रकाश रवि तथा उनकी पत्नी चंदा कुमारी भी शिक्षिका है. लेकिन पिता के निधन के बाद मुरारी प्रसाद गौतम को राजनीति में आना पड़ा क्योंकि इनके पिता महेंद्र राम चेनारी विधानसभा सीट से 4 बार चुनाव लड़ चुके थे लेकिन उन्हें चारो बार पराजय हाथ लगी थी. बाद में तत्कालिक विधायक ललन पासवान के द्वारा विधायक पद से इस्तीफा दे देने के बाद चेनारी सीट खाली हुई और उपचुनाव में कांग्रेस ने मुरारी प्रसाद गौतम पर ही दांव खेला और उन्हें जीत हासिल हुई लेकिन बाद के एक चुनाव में वह नहीं जीत सके.

2020 में फिर से जीत

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें फिर से अपना उम्मीदवार बनाया और मुरारी प्रसाद गौतम चुनाव जीतकर दूसरी बार चेनारी के विधायक हो गए. अपने पिता के राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उन्हें शिक्षक की सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी.

कांग्रेस के हैं वफादार

पिछले डेढ़ दशक से तमाम उठापटक के बावजूद वह कांग्रेस में बने रहे. पार्टी ने एक बार उन्हें टिकट भी नहीं दिया फिर भी दल के लिए मेहनत करते रहे. इसी का परिणाम हुआ कि पार्टी ने लगातार इन पर भरोसा जताया और यह भी दल के विश्वास पर खरे उतरे हैं. यही कारण है कि कांग्रेस ने इन्हें मंत्री बनने का मौका दिया है. सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाले महागठबंधन की सरकार में इन्हें पंचायती राज मंत्री बनाया गया है.

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