राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हुई एनडीए की बैठक में भी चिराग शामिल हुए थे। हालांकि, चिराग ने कहा था कि वह बैठक में इसलिए शामिल हुए क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू का समर्थन किया था।

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) नेता चिराग पासवान बुधवार को हिंदी दिवस समारोह में शामिल होने के लिए सूरत में थे। इस कार्यक्रम को केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ अमित शाह ने संबोधित किया था। चिराग भी ‘राजभाषा’ पर संसदीय समिति के सदस्य हैं और वे समिति के सदस्य के रूप में वहां थे। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सूरत में चिराग के मीटिंग में शिरकत करने के और भी कई कारण थे। भाजपा नेताओं ने उन्हें बैठक में शामिल होने के लिए मना लिया और वे सूरत चले गए।

बीजेपी के कई नेता लगातार इस बात को दोहराते रहे हैं कि चिराग पासवान अभी भी एनडीए का हिस्सा हैं। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने चिराग को फोन कर द्रौपदी मुर्मू के लिए उनका समर्थन मांगा था। चिराग ने भी उन्हें अपना समर्थन दिया था। इतना ही नहीं, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हुई एनडीए की बैठक में भी चिराग शामिल हुए थे। हालांकि, चिराग ने कहा था कि वह बैठक में इसलिए शामिल हुए क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू का समर्थन किया था और वह एनडीए का हिस्सा नहीं हैं।

द इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि बिहार में बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में चिराग पासवान और बीजेपी के बीच नए सिरे से गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस पार्टी के अन्य सांसदों के साथ इस समय एनडीए में हैं। पारस केंद्रीय मंत्री भी हैं। पूर्व में चिराग पासवान ने कहा था कि जब तक पारस मंत्री हैं और भाजपा के साथ गठबंधन में हैं, तब तक भाजपा के साथ कोई बात नहीं होगी।

6% वोट पर बीजेपी के नजर

भाजपा निश्चित रूप से जानती है कि पारस के नेतृत्व वाला लोजपा का टूटा हुआ गुट भले ही गठबंधन में है, बिहार में मतदाता अभी भी चिराग पासवान के साथ हैं। बिहार में 6 फीसदी पासवान मतदाता हैं जिन्होंने बीते चुनाव में बड़े पैमाने पर लोजपा को अपना समर्थन दिया था।

पारस-चिराग को एनडीए में रखने का फॉर्मूला ढूंढ रही भाजपा

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले जदयू, राजद, कांग्रेस और वाम दलों के महागठबंधन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भाजपा दलित मतदाताओं के इस हिस्से को अपने पास रखना चाहती है। पार्टी एनडीए के भीतर चिराग पासवान और पारस दोनों को ही साथ बनाए रखने का भी फॉर्मूला ढूंढ रही है। चिराग पासवान फिलहाल ऐसी किसी भी संभावनाओं पर चुप्पी साधे हुए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *