लोक आस्था का महापर्व छठ का आगाज शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ हो गया।
चार दिनी महापर्व के पहले दिन व्रतियों ने पवित्र स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी और आंवले की चटनी आदि का भोग लगा प्रसाद ग्रहण किया।
शनिवार को खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा।
नहाय-खाय का विधान
ज्योतिषाचार्य पीके युग के मुताबिक, छठ शुरू करने से पहले शरीर की शुद्धि और मानसिक दृढ़ता के लिए नहाय-खाय किया जाता है।
स्नान करते समय व्रत की तैयारी का संकल्प लिया जाता है। चार दिनों तक संयम व अनुशासन के साथ मन को दृढ़ और संकल्पित किया जाता है। प्रसाद ग्रहण करते समय गौ का भाग (ग्रास) निकाला जाता है। अनुष्ठान के लिए गाय को भी साक्षी बनाया जाता है।
खरना का समय
शनिवार (18 नवंबर) की शाम 4.48 बजे से 7.56 बजे के बीच खरना होगा। व्रती गुड़ या ईख के रस से तैयार खीर और रोटी के प्रसाद का भोग लगाएंगे। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा।