भागलपुर जिले के बौसी थाना क्षेत्र से एक चिंताजनक मामला सामने आया है, जहां बच्चों के बीच खेल-खेल में शुरू हुई मामूली कहासुनी ने देखते ही देखते हिंसक रूप ले लिया। घटना इतनी बढ़ गई कि बच्चों के बीच की झड़प में उनके परिजन भी कूद पड़े और मामला मारपीट तक पहुंच गया। इस झगड़े में एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई, जिसे आनन-फानन में इलाज के लिए भागलपुर के मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार महिला की हालत नाजुक बनी हुई है और उसे निगरानी में रखा गया है।
घटना के बाद पीड़ित पक्ष बौसी थाना पहुंचा और पूरे मामले की जानकारी पुलिस को दी। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और थाने में मौजूद अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। पीड़ित परिवार का कहना है कि अगर पुलिस समय रहते हस्तक्षेप करती तो मामला इस हद तक नहीं बढ़ता और उनकी परिजन को इतनी गंभीर चोटें नहीं आतीं।
परिजनों का कहना है कि वह न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन पुलिस की बेरुखी ने उन्हें पूरी तरह से निराश कर दिया है। पीड़िता के परिवारवालों ने स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
स्थानीय लोगों ने भी पुलिस प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि बौसी थाना क्षेत्र में पहले भी कई बार इस तरह के मामले सामने आए हैं, लेकिन पुलिस हर बार मूकदर्शक बनी रहती है। यदि समय रहते पुलिस ने कार्रवाई की होती तो यह मामला इतना गंभीर नहीं होता।
घटना ने क्षेत्र में दहशत और नाराजगी का माहौल पैदा कर दिया है। आम लोग अब कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं और पीड़ित परिवार के समर्थन में खड़े हो गए हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस की निष्क्रियता से असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद हो रहे हैं और आम नागरिक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
फिलहाल घायल महिला का इलाज मायागंज अस्पताल में जारी है और परिवार को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा। इस बीच पुलिस की भूमिका को लेकर स्थानीय स्तर पर भी चर्चा शुरू हो गई है। प्रशासन से मांग की जा रही है कि घटना की जांच उच्च स्तर पर कराई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि छोटी-छोटी कहासुनी भी यदि समय पर नियंत्रित न की जाए, तो वह बड़ी हिंसक घटनाओं का रूप ले सकती है। साथ ही यह सवाल भी उठता है कि आखिर कब तक पुलिस की निष्क्रियता के कारण निर्दोष लोग पीड़ित होते रहेंगे?
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