विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर आज उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय, इंग्लिश, सबौर में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल कुमार यादव के संरक्षण में हुआ। कार्यक्रम में कक्षा 7वीं से 12वीं तक की छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों, कुरीतियों और स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति छात्राओं को जागरूक करना था। वक्ताओं ने छात्राओं को बताया कि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इससे जुड़ी गलत धारणाओं को दूर करना समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है। कार्यक्रम के दौरान मासिक धर्म के समय स्वच्छता बनाए रखने, संक्रमण से बचाव और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर विस्तार से जानकारी दी गई।



कार्यक्रम में छात्राओं को प्रोत्साहित किया गया कि वे इस विषय पर खुलकर बात करें और किसी भी समस्या की स्थिति में विद्यालय की महिला शिक्षकों से मदद लें। छात्राओं ने भी इस अवसर का लाभ उठाते हुए अपने सवाल बेझिझक पूछे। विशेषज्ञों ने सरल और स्पष्ट भाषा में उनके प्रश्नों का उत्तर दिया और उन्हें सही जानकारी प्रदान की।

कार्यक्रम के पश्चात विद्यालय परिसर में एक जागरूकता अभियान (कैंपेन) भी आयोजित किया गया। इस अभियान में छात्राओं ने पोस्टर और स्लोगन के माध्यम से मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का संदेश दिया। उन्होंने हाथों में तख्तियां लेकर यह संदेश फैलाया कि मासिक धर्म से जुड़ी बातें शर्म की नहीं, समझ की होनी चाहिए।


इस आयोजन में पिरामल फाउंडेशन की टीम — अनीस गुप्ता, आशीष कुमार और कोमल साहू — ने विशेष योगदान दिया। उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा तय करने से लेकर छात्राओं को मार्गदर्शन देने तक हर स्तर पर सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

इस जागरूकता कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि छात्राओं ने मासिक धर्म के विषय में खुलकर बातचीत की और एक सुरक्षित तथा स्वच्छ वातावरण में अपने अनुभव साझा किए। इस पहल ने न केवल छात्राओं में आत्मविश्वास बढ़ाया, बल्कि समाज को भी यह सकारात्मक संदेश दिया कि मासिक धर्म पर खुलकर चर्चा करना समय की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के अंत में प्रधानाध्यापक अनिल कुमार यादव ने पिरामल फाउंडेशन और विद्यालय की शिक्षिकाओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज को जागरूक और संवेदनशील बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होते हैं। उन्होंने आशा जताई कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों से छात्राएं आत्मनिर्भर और जागरूक बनेंगी।

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