देवगढ़,  एक सरकारी निरीक्षण के दौरान देवगढ़ के घने जंगलों में रविवार को बड़ा हादसा हो गया, जब इत्र की खुशबू से भड़ककर मधुमक्खियों के झुंड ने अचानक अधिकारियों पर हमला बोल दिया। इस अप्रत्याशित हमले में सीडीओ कमलाकांत पांडेय बेहोश हो गए, जबकि विशेष सचिव सुनील कुमार वर्मा और एडीएम नमामि गंगे राजेश कुमार श्रीवास्तव समेत 9 अधिकारी और कर्मचारी बुरी तरह घायल हो गए।

दरअसल, यह घटना उस समय घटी जब शासन की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी और विशेष सचिव (रेशम विकास) सुनील कुमार वर्मा योजनाओं के निरीक्षण के लिए देवगढ़ पहुंचे थे। रविवार सुबह 10 बजे का समय था। अधिकारियों की टीम बौद्ध गुफाओं का निरीक्षण करने के लिए पहाड़ी से नीचे उतर रही थी, तभी वहां मौजूद छत्तों से हजारों मधुमक्खियां अचानक भड़क उठीं। वन विभाग के अनुसार, इत्र की तेज खुशबू से मधुमक्खियां उग्र हो गईं और उन्होंने अधिकारियों पर हमला शुरू कर दिया।

घटना स्थल की स्थिति अत्यंत दुर्गम थी। जंगल के अंदर मौजूद यह पर्यटन स्थल सड़क मार्ग से काफी दूर है, और वाहन एक निर्धारित दूरी तक ही जा सकते हैं। इसके बाद टीम को पहाड़ी रास्ते से पैदल चलकर गुफाओं तक पहुंचना होता है। राहत और बचाव कार्य में इसी दुर्गमता ने बड़ा अड़चन डाला। जैसे ही जिला प्रशासन को हमले की खबर मिली, मुख्यालय से टीमें रवाना हो गईं, लेकिन खराब रास्तों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण बचाव टीम को मौके पर पहुंचने में एक घंटे से ज्यादा का समय लग गया।

मधुमक्खियों के हमले के बाद सीडीओ कमलाकांत पांडेय बेहोश हो गए। उन्हें चारपाई पर लिटाकर पहाड़ी रास्ते से नीचे लाया गया और फिर ट्रैक्टर-ट्राली के सहारे एंबुलेंस तक पहुंचाया गया। उन्हें ललितपुर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार किया गया। वहीं, गंभीर रूप से घायल एडीएम राजेश श्रीवास्तव को झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां उन्हें सुपर स्पेशियलिटी ICU में भर्ती किया गया है। उनके शरीर से करीब 350 मधुमक्खियों के डंक निकाले गए हैं।

इस घटना में सीडीओ का गनर चंद्रपाल, नायब तहसीलदार घनेंद्र तिवारी, उपनिरीक्षक दिनेश कुमार, लेखपाल सूर्यांश, शशांक और ऊदल सहित कई लोग घायल हुए हैं।

स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, देवगढ़ जैसे पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए सुरक्षित मार्ग की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है। इसके लिए जिला प्रशासन ने कार्ययोजना भी बनाई थी, लेकिन वन विभाग की आपत्ति के कारण यह मार्ग आज तक नहीं बन पाया।

इस दर्दनाक हादसे ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रशासनिक निरीक्षण या पर्यटन विकास की योजनाएं बिना सुरक्षित बुनियादी ढांचे के संभव हैं? और क्या इत्र जैसी छोटी-सी चीज इतनी बड़ी अनहोनी का कारण बन सकती है?

**कैमरामैन के साथ, \[आपका नाम], देवगढ़ से रिपोर्ट।**

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