प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे लोगों को पक्का मकान उपलब्ध कराना है, जिनके पास रहने के लिए सुरक्षित और टिकाऊ घर नहीं हैं। लेकिन बिहार के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत सैदपुर ग्राम पंचायत में इस योजना की मंशा को पलीता लगता नजर आ रहा है। वार्ड नंबर 5 के निवासी राजेश कुमार ने योजना के क्रियान्वयन में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी और अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) को आवेदन सौंपा है।
राजेश कुमार का कहना है कि कई ऐसे लाभार्थियों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है, जिनके पास पहले से ही पक्का मकान मौजूद है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पहले से बने मकानों के ऊपर ही नए निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं, जो प्रधानमंत्री आवास योजना की मूल शर्तों का उल्लंघन है। योजना के नियमों के अनुसार, ऐसे व्यक्ति जो पहले से पक्के मकान में रह रहे हैं, वे पात्र नहीं माने जाते।
राजेश कुमार ने यह भी दावा किया कि इन गड़बड़ियों के पीछे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है। उनका कहना है कि कुछ लोगों ने मोटी रकम लेकर अपात्र व्यक्तियों को लाभार्थी सूची में शामिल कराया है। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराए जाने की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारी धन का दुरुपयोग न हो और वास्तविक जरूरतमंदों तक योजना का लाभ पहुंचे।
प्रधानमंत्री आवास योजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे ग्रामीण भारत में गरीब परिवारों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए एक पक्का आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। लेकिन अगर इसमें भ्रष्टाचार जैसी घटनाएं सामने आती हैं, तो यह न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि जरूरतमंद लोगों के अधिकारों का भी हनन है।
इस संबंध में जब पंचायत के आवास सहायक शशि भूषण से बात की गई, तो उन्होंने सभी आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि सभी मकानों की पहले ही जांच की जा चुकी है और निर्माण कार्य पूरी तरह से नियमों के अनुरूप हो रहा है। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों का चयन भी तय मानदंडों के अनुसार ही किया गया है। हालांकि, स्थानीय लोगों और राजेश कुमार द्वारा प्रस्तुत तस्वीर इससे भिन्न है।
ग्रामीणों का कहना है कि जिन लोगों को मकान दिए जा रहे हैं, वे सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से नहीं आते। वहीं कुछ मकान ऐसे स्थानों पर बन रहे हैं, जहाँ पहले से ही पक्का निर्माण मौजूद है। यह स्थिति योजना के उद्देश्यों को ही विफल करती है।
यदि समय रहते इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की गई, तो इससे न केवल इस योजना की साख को धक्का लगेगा, बल्कि जरूरतमंद गरीब परिवारों का भरोसा भी टूटेगा। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे मामलों में तत्परता से कार्रवाई करें, दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं और पारदर्शिता सुनिश्चित करें, ताकि पीएमएवाई जैसी जनहितकारी योजनाएं अपने वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति कर सकें।