सहरसा अब केवल रेलवे ओवरब्रिज (ROB) के निर्माण से ही नहीं, बल्कि एक और बड़े तोहफ़े से चर्चा में है। जिले की पहचान को नई ऊँचाई देने और पर्यटन की संभावनाओं को मजबूत करने के लिए अब मत्स्यगंधा जलाशय को धार्मिक एवं ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की गई है। यह परियोजना न केवल धार्मिक महत्व को संरक्षित करेगी, बल्कि आधुनिक सुविधाओं और आकर्षणों से लैस होकर सहरसा को पर्यटन मानचित्र पर विशेष स्थान दिलाएगी।

 

परियोजना की कुल लागत 85 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, जिसमें से लगभग 70 करोड़ रुपये का टेंडर पास हो चुका है। इस राशि से झील के चारों ओर 22 आकर्षक संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इनमें घाट, एक्सपीरियंस सेंटर, शोरवेनियर शॉप, फूड कोर्ट, शॉप्स, एडमिन ब्लॉक, अरवन हाट, पार्किंग और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। इन सभी का उद्देश्य आने वाले पर्यटकों को धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व से जोड़ने के साथ ही आधुनिक आरामदायक वातावरण प्रदान करना है।

 

सबसे बड़ा आकर्षण मत्स्यगंधा झील पर बनने वाला **राज्य का दूसरा ग्लास ब्रिज** होगा। यह ब्रिज राजगीर के बाद बिहार में अपनी तरह का दूसरा होगा और निश्चित रूप से सहरसा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का काम करेगा। ग्लास ब्रिज से झील और आसपास की प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत नजारा मिलेगा, जो युवाओं और पर्यटकों के लिए सेल्फी पॉइंट व साहसिक अनुभव का केंद्र बनेगा।

 

जिलाधिकारी ने हाल ही में निरीक्षण के दौरान जानकारी दी कि योजना को 12 माह की समयसीमा में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रशासन की प्राथमिकता है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी संरचनाओं का निर्माण कार्य पूरा हो, ताकि पर्यटन सीजन में ही लोग यहां की खूबसूरती का आनंद उठा सकें।

 

इस परियोजना के पूरा होने के बाद सहरसा की पहचान में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के साथ-साथ आधुनिकता की नई छवि जुड़ेगी। साथ ही, पर्यटन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों—हस्तशिल्प, होटल उद्योग, परिवहन, फूड व्यवसाय और छोटे उद्यमों में हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। यह पहल न केवल सहरसा की अर्थव्यवस्था को गति देगी, बल्कि पूरे कोसी क्षेत्र के लिए भी गौरव का विषय बनेगी।

 

कुल मिलाकर, ROB के बाद मत्स्यगंधा जलाशय विकास परियोजना सहरसा के लिए ऐसा तोहफ़ा है, जो जिले को एक नए पर्यटन हब के रूप में स्थापित कर देगा। धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक महत्व और आधुनिक आकर्षणों का संगम बनने जा रहा यह स्थल निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में सहरसा की नई पहचान बनेगा।

 

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