22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में हमारे कई सुरक्षाबल शहीद हो गए, और देशभर में इसका गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। आम जनता से लेकर सरकार तक, हर कोई अब निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रहा है। इसी के मद्देनजर आज मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हाई-लेवल बैठक की, जिसमें देश की सैन्य और रणनीतिक सुरक्षा के लिए बड़े फैसले लिए गए।
इस अहम बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों सेनाओं को “खुली छूट” दे दी है। उन्होंने साफ कहा कि आतंकवादियों पर जवाबी हमला कब, कहां और किस तरीके से करना है, इसका निर्णय अब सेना खुद ले सकती है। इस कदम को सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस फॉर टेररिज्म’ नीति के तहत देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा, “देश पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब समय आ गया है कि हम आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम उठाएं। आप लोग योजना बनाएं, समय तय करें और कार्रवाई करें—पूरा देश आपके साथ है।”
बैठक के बाद यह भी संकेत मिले हैं कि सरकार पाकिस्तान के खिलाफ लगातार कठोर फैसले ले रही है। हाल ही में सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू की है और अटारी-वाघा बॉर्डर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। इन फैसलों का असर न केवल पाकिस्तान पर पड़ेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की सख्त छवि प्रस्तुत करेगा।
सियासी गलियारों में भी इस फैसले की गूंज है। कुछ विपक्षी दलों ने सरकार से जवाबदेही मांगी है, लेकिन ज़्यादातर राजनीतिक दल और आम जनता इस निर्णायक रुख का समर्थन कर रही है। वहीं, पाकिस्तान की ओर से इन फैसलों पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, लेकिन भारत सरकार का कहना है कि अब बातों का समय नहीं, बल्कि कार्रवाई का समय है।
एनएसए अजीत डोभाल ने बैठक में आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों की ताज़ा जानकारी दी और बताया कि पहलगाम हमले के पीछे किस संगठन का हाथ है और उसके संपर्क कहां तक फैले हैं। इसके अलावा, सेना प्रमुखों ने संभावित जवाबी कार्रवाई के विकल्प भी प्रधानमंत्री के सामने रखे।
इस हाई-लेवल बैठक के बाद देश में एक संदेश साफ है—भारत अब केवल सहन नहीं करेगा, बल्कि निर्णायक और सटीक जवाब देगा। प्रधानमंत्री मोदी का यह रुख न सिर्फ आतंकवादियों को चेतावनी है, बल्कि उन देशों को भी संदेश है जो आतंक को समर्थन या संरक्षण देते हैं।
देश की जनता को अब सरकार से बड़ी कार्रवाई की उम्मीद है और ऐसा लग रहा है कि यह इंतज़ार अब ज्यादा लंबा नहीं होगा। सेना को मिली इस खुली छूट के बाद आने वाले दिनों में भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।
