वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन व्रत रखने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान की कृपा प्राप्त होती है. वट सावित्री व्रत दो दिन मनाया जाता है. एक ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन और दूसरा व्रत  पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है. आइए जानते हैं इसके बारे में. 

दो दिन क्यों रखा जाता है वट सावित्री व्रत 

ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन उत्तर भारत में यूपी, एमपी, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि जगहों पर अमावस्या के दिन व्रत रखा जाता है. वहीं, गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत में पूर्णिमा तिथि के दिन ये व्रत रखा जाता है. इसलिए इसे वट पूर्णिमा व्रत के नाम से जानते हैं. स्कंद पुराण में वट पूर्णिमा व्रत का जिक्र किया गया है. इस व्रत को ज्येष्ठ पूर्णिमा के नाम से रखा जाता है.

अमावस्या और पूर्णिमा व्रत का है समान महत्व

धार्मिक दृष्टि से वट सावित्री व्रत और वट पूर्णिमा व्रत का समान महत्व बताया गया है. अंतर सिर्फ इनकी तिथियों का ही है. उत्तर भारत में सुहागिन महिलाएं ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन विधि-विधान से व्रत रखती हैं. वहीं अन्य जगहों पर टीक 15दिन बाद वट पूर्णिमा तिथि को व्रत रखा जाता है. दोनों ही व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. साथ ही, सुखी वैवाहिक जीवन के लिए भी महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करते हैं.

वट सावित्री व्रत 2022 पूजा मुहूर्त

ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि का आरंभ 29 मई दोपहर 02 बजकर 54 मिनट पर होगी. वहीं, अमावस्या तिथि का समापन 30 मई शाम 04 बजकर 59 मिनट  पर होगा. उदायतिथि के आधार पर अमावस्या तिथि 30 मई की मानी जाएगी.इसलिए वट सावित्री व्रत 30 मई के दिन रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:12 बजे से है. 

वट पूर्णिमा व्रत 2022 मुहूर्त

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 जून, सोमवार रात 09 बजकर 02 मिनट  से होकर 14 जून, मंगलवार शाम 05 बजकर 21 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर 14 जून के दिन वट पूर्णिमा के दिन रखा जाएगा.  

वट पूर्णिमा व्रत का पूजा मुहूर्त सुबह से ही होगा. 

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