आज देश को नया संसद भवन मिलने जा रहा है। इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे नए संसद भवन में लोकसभा के 552 और राज्यसभा के 250 सदस्यों के बैठने के लिए जगह बनाई गई है। नई संसद को लेकर देश की सियासत भी काफी गर्म है और 19 विपक्षी दलों ने इसके उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया है।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 7:30 बजे दो चरणों में नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका पहला चरण सुबह 7:30 बजे शुरू होगा और दूसरा चरण 9:30 बजे शुरू किया जाएगा। सुबह 7:30 से 8:30 तक विशेष पूजा का आयोजन किया गया है और 9:00 से 9:30 बजे तक प्रार्थना सभा होगी। इन तमाम तरह के कार्यक्रम के बाद संसद का उद्घाटन किया जाएगा। इस दौरान ने संसद भवन में ऐतिहासिक और धार्मिक संगोल को भी स्थापित किया जाएगा जो अंग्रेजों द्वारा सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। नया संसद भवन पुराने संसद भवन परिसर में ही बनाया गया है।

बताया जा रहा है कि, नए संसद भवन के उद्घाटन के समय पीएम मोदी से कोई नया नाम भी दे सकते हैं। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नए संसद भवन की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी। मौजूदा संसद भवन में सांसदों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। स्नेप दमन के उद्घाटन के मौके पर दोनों ही सदनों के सदस्य के साथ-साथ देश के प्रमुख हस्तियों को भी आमंत्रित किया गया है।

इसके साथ ही नए संसद के उद्घाटन वाले दिन 28 मई को नया सिक्का भी जारी होगा। पीएम मोदी 75 रुपये का नया सिक्का जारी करेंगे। सिक्के की गोलाई 44 मिलीमीटर होगी। सिक्के में 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी तांबा, 5 फीसदी निकल और 5 फीसदी जिंक रहेगा। सिक्के के बीच में अशोक स्तंभ, उसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा होगा. बाईं तरफ हिंदी में भारत, दाईं तरफ India लिखा होगा। नीचे ₹75 लिखा होगा। सिक्के के दूसरी तरफ बीच में संसद परिसर की तस्वीर, ऊपर हिंदी में संसद संकुल जबकि नीचे Parliament Complex लिखा होगा। संसद परिसर की तस्वीर के नीचे 2023 लिखा होगा। 

मालूम हो कि, देश का संसद का वर्तमान भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था, जो अब लगभग 100 साल पुराना होने जा रहा है। इसके दोनों सदनों में सांसदों के बैठने की सुविधाजनक व्यवस्था का भी अभाव था। 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित लोकसभा सीटों की संख्या 545 में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। 2026 के बाद इसमें काफी वृद्धि होने की संभावना है। ऐसे में नए सांसदों के लिए बैठने की पर्याप्‍त जगह ही नहीं होगी। 

आपको बताते चलें कि, नए ससंद भवन बनाने का प्रस्ताव सबसे पहली बार 1991-92 के दौरान आया था। उस समय पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे। उस समय तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल ने संसदीय कार्य मंत्री गुलाम नबी आजाद को बुलाकर इस दिशा में विचार करने के लिए कहा था। इसके बाद सरकार के स्तर पर इस मुद्दे पर कई दौर की चर्चा भी हुई। उसमें कहा गया कि रोक के चलते वर्ष 2026 तक संसद के सदस्यों की संख्या नहीं बढ़ने जा रही है, ऐसे में अभी इसकी कोई जरूरत नहीं है। 

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