नवगछिया के रंगरा के रहने वाले गणेश मंडल के पुत्र राधे कुमार मंडल को परिजन इलाज के लिए पैर हाथ और शरीर में रस्सी बांधकर ई रिक्शा में बिठाकर जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां परिजनों ने डॉक्टरों को बताया कि उनका पुत्र मानसिक रोगी है।

जिसके बाद डॉक्टरों ने दवा लिखकर उसे छोड़ दिया। जिसके बाद ई रिक्शा में अपने पुत्र को रस्सी में उसी तरह बांधा हुआ लेकर वहां से घर के लिए निकल गए। मानसिक रूप से विछिप्त युवक का कहना है कि वह ठीक है और उसकी पिटाई की जाती है और रस्सी में बांध दिया गया है। दो-तीन दिन पहले किसी बच्चे को किसी ने मारा था उसके बाद से घरवालों और गांव वालों ने उसे रस्सी से बांध दिया है।

जबकि वह ठीक है। उसका कहना है कि जमीन को लेकर दो लोगों में विवाद था और वह लोग उसे मारना चाहते थे। इसीलिए उसे मानसिक तौर पर विछिप्त कह कर प्रताड़ित किया जा रहा है। वही पिता का कहना है कि दो-तीन दिन पहले बच्चे की पिटाई मामले में उसे पुलिस पकड़ कर भी ले गई थी और अस्पताल में इलाज करा कर वापस घर भेज दी। वही जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा अस्पताल में डॉक्टरों के द्वारा कहा गया है

कि अगर आपका बेटा मानसिक तौर पर बीमार है तो उसे रांची ले जाइए। वही अब पिता अपने बेटे को बांधकर रांची ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा अस्पताल में जब युवक को इलाज के लिए ले जाया गया तब वहां डॉक्टरों ने उसे यूं ही कैसे छोड़ दिया। जबकि यहां पर भी मानसिक रोग विभाग है। वही किसी इंसान को इस तरह से रस्सी में बांधकर रखना कहां तक उचित है सवाल है वहीं अस्पताल की भी लापरवाही साफ तौर पर नजर आ रही है। वही पिता अपने पुत्र को लेकर घर के लिए निकल गए है

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