दुनिया को तेजी से बदलने वाले इंसान के खानपान के मानकों को भी बदलने का वक्त आ गया है। बदलते समय के साथ खराब खानपान देश में 60 फीसदी अकाल मौतों की वजह बन सकता है। इसी को ध्यान में रखकर तेलंगाना के राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने खानपान के तौर तरीकों का नया मसौदा तैयार करने की बात कही है जिसमें छह माह से अधिक उम्र के व्यक्ति के खानपान का नया मानक तय होगा।

अगले 30 वर्ष बेहद अहम
देश में अगले 30 वर्षों में वयस्कों की आबादी आठ फीसदी से बढ़कर 19 फीसदी तक हो जाएगी। ऐसे में खाद्य पदार्थों की मांग तेजी के साथ बढ़ेगी। पौष्टिक खाद्य पदार्थों के अभाव में बीमारियां हावी होंगी जो समयपूर्व मौतों की बड़ी वजह बन सकती है।

एनआईएन की तैयारी पर नजर : 
-एनआईएन ने 560 खाद्य पदार्थों के सैंपल की जांच की है
-परीक्षण के दौरान 140 पोषण मानकों का रखा गया है ध्यान
06 माह से ऊपर के लोगों के लिए खानपान का नया मानक बनेगा

देश में हालात: 
15 से 49 वर्ष की 53 फीसदी महिलाएं पौष्टिक आहार से वंचित
34.7 फीसदी 0 से 5 माह के बच्चों की सेहत प्रभावित होती है
05 वर्ष के 17.3 फीसदी बच्चों को नहीं मिल पाता पौष्टिक आहार
60 वर्ष से अधिक उम्र के 32 फीसदी बुजुर्गों को नहीं मिलता पौष्टिक आहार
(स्रोत: ग्लोबल न्यूट्रिशियन रिपोर्ट)

खराब खानपान का जीडीपी पर असर
-जीडीपी में कुपोषण बढ़ने से 2 से 3 फीसदी की गिरावट आती है
-कुपोषण की चपेट में आए व्यक्ति की 10 फीसदी तक आय घट जाती है
-60 करोड़ लोगों को देश में हमेशा थकान और कमजोरी की शिकायत 

दुनिया पर खराब खानपान का असर
-हर साल औसतन दुनियाभर में 1.9 करोड़ लोगों की मौत
-22 फीसदी युवाओं की मौत की वजह हृदय रोग
-50 फीसदी मौतों की वजह अनाज, फल का कम उपभोग और खाद्य पदार्थों में सोडियम की मात्रा बढ़ना है।
-36 फीसदी मौतों की प्रमुख वजह बडी मात्रा में लाल मांस, मीठे खाद्य पदार्थों का बड़े पैमाने पर उपभोग है।
(स्रोत: वाशिंगटन यूनिवर्सिटी)

खराब खानपान और मौतें
देश        मौतें
इजिप्ट:     552
चीन        350
भारत       310
ब्रिटेन       127
अमेरिका     171
स्रोत: (लैंसेट: 2017 प्रति एक लाख आबादी पर)

सेहत को सुरक्षित रखना मकसद
एनआईएन के निदेशक डॉ. अवुला का कहना है कि पौष्टिक खानपान से कई गंभीर बीमारियों को रोका जा सकता है। हाल के समय में फैट और शुगर वाले खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ी है जिससे बीमारियां बढ़ रही है। इसी को ध्यान में रखकर खानपान का नया मसौदा तैयार करने पर विचार चल रहा है जिससे इंसानों की सेहत सुरक्षित हो सके।

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