मेघालय उच्च न्यायालय ने सोमवार को पारित एक फैसले में कहा कि जो पुरुष अपने प्राइवेट पार्ट को महिला के प्राइवेट पार्ट से रगड़ता है, तो उसे बलात्कार का दोषी ठहराया जा सकता है, भले ही उस पीड़िता महिला ने अंडरपैंट पहन रखा हो।
ये फैसला 2006 के एक मामले से जुड़ा है। 23 सितंबर, 2006 को एक 10 साल की नाबालिग के साथ मोलेस्टेशन हुआ था। इस मामले में 30 सितंबर 2006 को शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद पीड़िता की एक अक्टूबर को मेडिकल जांच कराई गई थी।
मेडिकल जांच से पता चला कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट को नुकसान पहुंचा था। मेडिकल जांच करने वाले डॉक्टर ने बताया कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट के अंदरूनी हिस्से (hymen) को किसी भी फिजिकल एक्टिविटी से नहीं बल्कि किसी दूसरे अंग की रगड़ की वजह से नुकसान हुआ है।
इस मामले में संदिग्ध, चीयरफुलसन स्नैतांग को 2018 में निचली अदालत ने उसके कबूलनामे के आधार पर दोषी ठहराया था। हालांकि, स्नैतांग ने अपना कबूलनामा वापस ले लिया और उच्च न्यायालय में आदेश के खिलाफ यह कहते हुए अपील की कि अधिकारियों द्वारा उसके शब्दों का गलत अनुवाद किया गया था जब कार्यकारी मजिस्ट्रेट के सामने उसे अंग्रेजी में पेश किया गया था। उसके वकील ने तर्क दिया कि उसने लड़की के अंडरवियर पर केवल अपना लिंग रगड़ा था।
पीड़िता, जो मामले की सुनवाई के समय तक एक युवा वयस्क थी, ने भी जिरह के दौरान यह कहा कि आरोपी ने घटना के दौरान उसके अंडरवियर को नहीं हटाया था। पीड़िता ने यह भी कहा था कि उसे बाद में दर्द महसूस नहीं हुआ, लेकिन अदालत ने चिकित्सा निष्कर्षों को ध्यान में रखा और घटना के बाद के दिनों में जांच के दौरान दर्द की शिकायत की थी।
आईपीसी की धारा 375 (बी) के मुताबिक किसी भी महिला के प्राइवेट पार्ट में बिना सहमति के मेल प्राइवेट पार्ट का पेनिट्रेशन रेप की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के तहत रेप के मामलों में सिर्फ पेनिट्रेशन जरूरी नहीं है। आईपीसी की धारा 375 (बी) के मुताबिक किसी भी महिला के प्राइवेट पार्ट में मेल प्राइवेट पार्ट का पेनिट्रेशन रेप की श्रेणी में आता है। ऐसे में पीड़िता ने भले ही घटना के समय अंडरगारमेंट पहना हुआ था, फिर भी इसे पेनिट्रेशन मानते हुए रेप कहा जाएगा।’
बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि कोई पेनिट्रेशन नहीं हुआ था क्योंकि लड़की ने अपने अंडरगारमेंट्स पहने हुए थे। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति वानलूरा डिएंगदोह की अदालत की खंडपीठ ने माना कि धारा 375 के तहत किसी भी हद तक पेनिट्रेशन दोषी पाए जाने के लिए काफी है। कोर्ट ने स्नैतांग की सजा को बरकरार रखा। उसे 2018 में 10 साल कैद और 25,000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई थी।