भागलपुर जिले के बरारी थाना क्षेत्र के बरारी पुल घाट पर गुरुवार को एक हृदयविदारक घटना सामने आई। गंगा देवी नामक महिला ने अपनी दो मासूम बेटियों के साथ गंगा नदी में छलांग लगाकर जान देने की कोशिश की। हालांकि, मौके पर मौजूद जीवन जागृति सोसाइटी की टीम ने साहस और तत्परता दिखाते हुए महिला और दोनों बच्चियों की जान बचा ली। इस घटना से इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
जानकारी के अनुसार, गंगा देवी का पारिवारिक जीवन तनाव से गुजर रहा था। पूछताछ में महिला ने बताया कि उसके पति द्वारा उसे लगातार प्रताड़ित किया जाता है। पति बेटियों के पैदा होने को अभिशाप मानता था और इसी वजह से अक्सर गाली-गलौज और मारपीट करता था। पारिवारिक प्रताड़ना से निराश होकर गंगा देवी ने अपनी दोनों बेटियों के साथ गंगा नदी में कूदकर आत्महत्या करने का कदम उठा लिया।
लेकिन किस्मत से उस समय जीवन जागृति सोसाइटी की टीम घाट पर मौजूद थी। जैसे ही लोगों ने महिला और उसकी बेटियों को पानी में डूबते देखा, उन्होंने तुरंत सूचना राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिंह को दी। डॉ. सिंह ने तत्काल संगठन के सदस्यों मृत्युंजय और ऋषु को मौके पर भेजा। दोनों कार्यकर्ताओं ने बिना समय गंवाए गंगा में छलांग लगाई और बहादुरी दिखाते हुए तीनों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
महिला और बच्चियों को तत्काल इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि समय पर बचा लिए जाने से तीनों की जान खतरे से बाहर है। घटना की जानकारी पाकर स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचे और जीवन जागृति सोसाइटी की टीम की सराहना की।
इस घटना ने समाज में महिलाओं की स्थिति और बेटियों के प्रति भेदभाव पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। गंगा देवी ने बताया कि सिर्फ बेटियां होने की वजह से उसे घर में अपमान और हिंसा झेलनी पड़ रही थी। समाजसेवियों का कहना है कि यह मानसिकता बेहद खतरनाक है और इसके खिलाफ सामाजिक जागरूकता जरूरी है।
जीवन जागृति सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि उनकी संस्था हमेशा मानव सेवा के लिए समर्पित है। उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों की सराहना करते हुए कहा कि तत्परता से आज तीन जिंदगियां बचाई जा सकीं।
स्थानीय प्रशासन ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि दोषी पाए जाने पर महिला के पति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बरारी पुल घाट की इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। लोगों का कहना है कि घरेलू प्रताड़ना और बेटा-बेटी के भेदभाव जैसी कुरीतियों को समाज से समाप्त करना होगा। वहीं, जीवन जागृति सोसाइटी की टीम की बहादुरी ने यह साबित कर दिया कि समय पर मदद और मानवीय संवेदनशीलता से बड़ी से बड़ी त्रासदी को टाला जा सकता है।
