सहरसा। नगर निगम सहरसा में करोड़ों रुपये के कथित घोटाले का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। आरोप है कि निगम की तत्कालीन प्रभारी नगर आयुक्त अनुभूति श्रीवास्तव ने एक विशेष संवेदक के साथ मिलीभगत कर बाजार मूल्य से लगभग दस गुना अधिक दर पर सामग्री की खरीद की। इस गड़बड़ी को लेकर दहलान चौक स्थित आरडी इंटरप्रेन्योर दहलान हाउस ने नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच की मांग की थी।

 

शिकायत को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने अधीक्षण अभियंता हरेंद्र कुमार उपाध्याय, कार्यपालक अभियंता मुरलीधर प्रसाद, आईटी प्रबंधक पंकज कुमार और सहायक अभियंता अखिलेश कुमार को शामिल करते हुए चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया। प्रारंभिक आरोपों के अनुसार जेम पोर्टल के नाम पर करीब 70 से 80 करोड़ रुपये की खरीद में अनियमितता की गई है। यह राशि निगम की योजनाओं के तहत सामग्री खरीद में कथित रूप से अधिक भुगतान कर गबन करने का मामला माना जा रहा है।

 

इसी कड़ी में बुधवार को चार सदस्यीय उड़नदस्ता जांच टीम अचानक नगर निगम कार्यालय पहुँची। टीम ने बिना किसी पूर्व सूचना के पहुँचकर दस्तावेजों की तलाश शुरू कर दी। हालांकि टीम की नगर आयुक्त से मुलाकात नहीं हो सकी, लेकिन कार्यालय में मौजूद बड़ा बाबू को बुलाकर आवश्यक अभिलेख उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। जांच अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि अभिलेख मिलते ही औपचारिक जांच शुरू की जाएगी।

 

इस अप्रत्याशित कार्रवाई से नगर निगम कार्यालय में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। कर्मचारी असमंजस में देखे गए और कार्यालय में हड़कंप मच गया। कई कर्मचारी यह जानने को उत्सुक थे कि जांच का दायरा किन-किन स्तरों तक पहुँचेगा और क्या इसमें बड़े अधिकारियों की भूमिका सामने आएगी। वहीं, राजनीतिक गलियारों में भी यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है। स्थानीय नेताओं और नागरिकों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सच में करोड़ों का यह घोटाला उजागर होगा या फिर मामला दबा दिया जाएगा।

 

जांच टीम ने अभी केवल आवश्यक दस्तावेज़ मंगवाए हैं और अभिलेखों की जाँच शुरू होने वाली है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। निगम क्षेत्र में इस घोटाले को लेकर लोगों में गहरी नाराजगी है। नागरिकों का कहना है कि यदि वास्तव में सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हुआ है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

 

फिलहाल नगर निगम कार्यालय से लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर तक यह मामला चर्चा का केंद्र बना हुआ है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि उड़नदस्ता टीम की जांच क्या मोड़ लेती है और कितने बड़े नाम सामने आते हैं।

 

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