पिछले 20 महीने से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख इलाके में सीमा पर सैन्य गतिरोध किए चीन ने अब भारतीय क्षेत्र के सामने लगभग 60,000 सैनिकों को तैनात किया है। सूत्रों ने कहा कि भारत ने भी चीन के संभावित दुस्साहस का जवाब देने के लिए बहुत मजबूत कदम उठाए हैं।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि गर्मियों में चीनी सैनिकों की संख्या काफी बढ़ गई थी, क्योंकि वे प्रशिक्षण के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों को यहां ले आए थे। अब वे सैनिक अपने मूल शिविरों में वापस चले गए हैं, लेकिन फिर भी लद्दाख के सामने क्षेत्रों में लगभग 60,000 सैनिकों का जमावड़ा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष का खतरा बरकरार है, क्योंकि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने सैनिकों की तेजी से आवाजाही को सुगम बनाने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र के सामने और पैंगोंग झील क्षेत्र के पास नई सड़कें बनाई जा रही हैं।

एलएसी पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की

पिछले साल अप्रैल-मई में शुरू हुई चीनी आक्रामकता पर रक्षा मंत्रालय ने अपनी साल के अंत की समीक्षा में कहा कि एलएसी पर एक से अधिक क्षेत्रों में यथास्थिति को बदलने के लिए चीनियों द्वारा एकतरफा और उत्तेजक कार्रवाई की गई है। हालांकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में जवाब दिया गया।

भारत ने तैनात किए राष्ट्रीय राइफल्स, दर्रे खोले

इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी अपने आतंकवाद निरोधी संयुक्त बल- राष्ट्रीय राइफल्स को पूर्वी मोर्चे पर लद्दाख थिएटर में तैनात कर दिया है। इसके साथ ही भारत की ओर से भी बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना किसी भी संघर्ष बिंदु पर जरूरत पड़ने पर सैनिकों को बड़ी संख्या में भेजने के लिए सभी पर्वतीय दर्रों को खुला रख रही है।

दोनों देशों के निगरानी ड्रोन बफर जोन में

सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना केवल एक या दो स्थानों पर चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने खड़ी होने की स्थिति में है क्योंकि अधिकांश स्थानों पर दोनों सेनाएं बफर जोन के कारण अलग-अलग हैं। दोनों पक्ष एक-दूसरे के सैनिकों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए बफर जोन में बड़ी संख्या में निगरानी ड्रोन भी तैनात कर रहे हैं।

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