श्रावणी मेले की पावन बेला में सुल्तानगंज एक बार फिर आस्था, भक्ति और सेवा भावना का केंद्र बन गया है। उत्तरवाहिनी गंगा की तेज धारा और “बोल बम” के नारों से पूरा क्षेत्र देवभूमि सा प्रतीत हो रहा है। देश ही नहीं, विदेशों से भी हजारों की संख्या में कांवरिये हर दिन सुल्तानगंज पहुंच रहे हैं और अजगैवीनाथ धाम से जल भरकर 105 किलोमीटर दूर देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम की ओर पैदल रवाना हो रहे हैं।

शनिवार को प्रखंड नियंत्रण कक्ष द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, बीते 24 घंटे में कुल 1,24,439 सामान्य कांवरियों ने यात्रा शुरू की। इनमें से 1042 डाक बम भी शामिल थे, जिनमें 1019 पुरुष और 23 महिलाएं थीं, जो डाक प्रमाण पत्र के साथ रवाना हुए। डाक बम विशेष रूप से तेज गति से चलते हैं और 24 घंटे के भीतर बाबाधाम पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
सुल्तानगंज का माहौल पूरी तरह भक्ति में डूबा हुआ है। केसरिया वस्त्रों में सजे कांवरियों की कतारें, उनके पैरों की चोटियों की आवाज, धूप-दीप की सुगंध और घुंघरुओं की झंकार से ऐसा लग रहा है मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। कांवरिए बिना जूते-चप्पल के, नंगे पांव कांवर लेकर गंगा तट से जल भरने के बाद कठिन यात्रा शुरू करते हैं। कांवर यात्रा में शारीरिक कष्ट तो होते हैं, लेकिन श्रद्धालुओं के चेहरे पर संतोष और उल्लास साफ झलकता है।
हिंदू-मुस्लिम एकता की अद्भुत मिसाल भी इस मेले में देखने को मिल रही है। दोनों समुदायों के लोग मिलकर कांवरियों की सेवा में लगे हैं। जगह-जगह सेवा शिविर, मेडिकल स्टॉल, भोजनालय और विश्राम गृह बनाए गए हैं, जहां निशुल्क जलपान, दवा और रहने की व्यवस्था की गई है। मुस्लिम समुदाय के कई युवाओं ने बताया कि कांवरियों की सेवा करना उनके लिए सौभाग्य की बात है।
बनारस से आए कांवरिया सुरेश बम का कहना है कि “गंगा स्नान और कांवर उठाने से सारे पाप मिट जाते हैं और मन को शांति मिलती है।” वहीं सिलीगुड़ी से आए रमेश बम ने कहा, “बाबा की कृपा से इस साल कांवर उठाने का सौभाग्य मिला। यहां की ऊर्जा, लोगों का प्रेम और बाबा की भक्ति से अपार प्रसन्नता मिल रही है।”
हालांकि, भीड़ के कारण कुछ समस्याएं भी सामने आई हैं। बिजली की आंखमिचौली के कारण कुछ सेवा शिविरों में परेशानी हुई। साथ ही, झोला चोरी की छिटपुट घटनाएं भी दर्ज की गई हैं, जिस पर स्थानीय प्रशासन की सतर्क निगाह है। सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। सीसीटीवी कैमरों की निगरानी के साथ-साथ ड्रोन से भी भीड़ पर नजर रखी जा रही है।
श्रावणी मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, सेवा भावना और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। कांवरियों की यह भक्ति यात्रा आने वाले दिनों में और भी रफ्तार पकड़ेगी। सुल्तानगंज से देवघर तक का यह सफर सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और श्रद्धा का उत्सव बन चुका है, जिसमें हर वर्ग, हर धर्म के लोग अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
इस अद्भुत श्रावणी मेले में आस्था का सैलाब देख हर कोई कह उठता है — “बोल बम! हर हर बम!”
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