सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के घोघसम गांव में कोसी नदी ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। मानसून की शुरुआत के साथ ही कोसी का जलस्तर बढ़ने लगा है, और अब तक गांव के 40 से अधिक घर इस कटाव की चपेट में आ चुके हैं। कई घर नदी में समा चुके हैं, जिससे ग्रामीणों के सामने बेघर होने का संकट खड़ा हो गया है। नेपाल और उत्तर बिहार में लगातार हो रही बारिश ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो कोसी की मौजूदा तबाही की भयावह तस्वीरें पेश कर रहे हैं।

ग्रामीण प्रशासन से अविलंब कटाव निरोधी कार्य शुरू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले साल किए गए अस्थायी कटावरोधी प्रयासों ने कुछ हद तक राहत दी थी, लेकिन इस बार स्थिति और भी खतरनाक होती जा रही है। सहरसा के अलावा बक्सर, पटना और भागलपुर में भी गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे व्यापक स्तर पर बाढ़ की आशंका जताई जा रही है।
कोसी नदी का इतिहास भीषण बाढ़ और तबाही से भरा पड़ा है। वर्ष 2008 में आई कोसी की प्रलयंकारी बाढ़ ने सुपौल, सहरसा, मधेपुरा और अररिया जिलों के करीब 27 लाख लोगों को प्रभावित किया था। 1987, 2004 और 2017 में भी कोसी ने सहरसा समेत पूरे कोसी क्षेत्र में बड़ी तबाही मचाई थी। घोघसम गांव सहित सिमरी बख्तियारपुर के कई गांव कोसी और उसके तटबंधों के बीच बसे हैं, जहां हर साल बाढ़ और कटाव का खतरा बना रहता है।
घोघसम के लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि स्थायी कटाव निरोधी तटबंध बनाए जाएं, प्रभावित परिवारों को राहत सामग्री, मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा दी जाए। कोसी की हर साल की तबाही अब केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की कहानी भी कह रही है।
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