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पटना: बिहार में एक बार फिर लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव यानी विधानसभा चुनाव की तैयारी ज़ोरों पर है। चुनाव आयोग ने अपने स्तर पर इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। मतदाता सूची के अद्यतन से लेकर बूथ लेवल मैनेजमेंट तक तैयारियां जारी हैं। आयोग की ओर से लगातार बैठकें हो रही हैं और प्रशासनिक मशीनरी को भी एक्टिव मोड में डाल दिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव की अधिसूचना सितंबर के महीने में जारी कर दी जाएगी, जबकि मतदाता सूची 30 सितंबर तक अपडेट कर दी जाएगी।

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अब बड़ा सवाल यह है कि बिहार में चुनाव कब होंगे?
माना जा रहा है कि अधिसूचना सितंबर में जारी होते ही ठीक एक महीने के अंदर चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो अक्टूबर और नवंबर महीने बिहार के लिए खास होंगे — एक तरफ लोक आस्था का महापर्व छठ, दूसरी तरफ लोकतंत्र का पर्व यानी चुनाव। यह पहली बार नहीं है जब चुनाव और छठ एक साथ पड़ेंगे। इससे पहले 2005, 2010, 2015 और 2020 में भी ऐसा हो चुका है।


🔹 2005: जब छठ और चुनाव एक साथ हुए

2005 में चुनाव आयोग ने पहली अधिसूचना 23 सितंबर को जारी की थी। चार चरणों में मतदान हुआ — 3 अक्टूबर, 8 अक्टूबर, 29 अक्टूबर और 5 नवंबर को। इसी बीच 5 नवंबर से 8 नवंबर तक छठ पर्व भी मनाया गया। नहाय खाय के दिन पटना, सिवान, गोपालगंज जैसे जिलों में मतदान हुआ था। नतीजे 22 नवंबर को आए थे।


🔹 2010: दिवाली और छठ के बीच मतदान

2010 में भी अधिसूचना सितंबर में जारी हुई और छह चरणों में चुनाव कराए गए। पहला चरण 21 अक्टूबर को था और बाकी चरण क्रमश: 24, 28 अक्टूबर, 1, 9 और 20 नवंबर को हुए। दिवाली 5 नवंबर को और छठ 9 से 12 नवंबर के बीच आया। दिलचस्प बात ये रही कि छठ के नहाय खाय के दिन भी कई सीटों पर वोटिंग हुई।


🔹 2015: पहले चुनाव, फिर पर्व

2015 में राजनीति गर्म थी, नीतीश कुमार इस्तीफा दे चुके थे, बीजेपी गठबंधन से बाहर थी। चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को अधिसूचना जारी की और 22 अक्टूबर से 5 नवंबर तक पांच चरणों में चुनाव कराया। परिणाम 8 नवंबर को आया, जबकि छठ पूजा 15 से 18 नवंबर तक मनाई गई थी। इस बार आयोग ने पहले चुनाव निपटा लिया और फिर लोगों को पर्व मनाने दिया।


🔹 2020: त्योहारों से टकराव नहीं

2020 में आयोग ने संतुलन साधते हुए चुनाव और त्योहार को अलग रखा। अधिसूचना सितंबर के आखिरी सप्ताह में जारी की गई। वोटिंग तीन चरणों में — 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को हुई। परिणाम 10 नवंबर को घोषित किया गया, जबकि छठ 18 से 21 नवंबर तक था।


🔹 2025: फिर छठ के बीच चुनाव की संभावना

अब बात करते हैं 2025 की। विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए इससे पहले चुनाव और परिणाम दोनों की प्रक्रिया पूरी होनी है। माना जा रहा है कि अधिसूचना सितंबर में जारी होगी और मतदान अक्टूबर-नवंबर के बीच होगा।

इस बार छठ महापर्व 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक है। ऐसे में चुनाव आयोग एक बार फिर छठ के आसपास चुनाव कराने की तैयारी में है।


🔹 छठ के दौरान चुनाव से क्या फायदा?

वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी कहते हैं कि छठ बिहारियों का सबसे बड़ा त्योहार है। इस समय प्रवासी बिहारी भी अपने घर लौटते हैं। इससे चुनाव में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होती है और मतदान प्रतिशत बढ़ता है।

चुनाव आयोग भी मानता है कि पर्व के दौरान मतदान से लोकतंत्र में लोगों की आस्था बढ़ती है और मतदान प्रतिशत में भी इज़ाफा होता है।


🔹 निष्कर्ष: पर्व और प्रक्रिया साथ-साथ

अब तक के चुनावी ट्रेंड को देखकर यह लगभग तय माना जा सकता है कि 2025 में भी मतदान प्रक्रिया छठ पर्व के दौरान या उसके आस-पास होगी। आयोग को समयबद्ध प्रक्रिया के साथ-साथ लोगों की आस्था और सुविधा का भी ध्यान रखना होगा।

छठ और चुनाव — दोनों ही बिहार की आत्मा से जुड़े पर्व हैं। ऐसे में जब आस्था और लोकतंत्र एक साथ होंगे, तो बिहार एक बार फिर साबित करेगा कि यहां लोक भी है और तंत्र भी।

 

 

 

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