सहरसा में लोकतंत्र को मजबूत करने और समाज के हर वर्ग को मतदान के महत्व के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से एक विशेष पहल देखने को मिली। स्वीप (सिस्टमेटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन) कोषांग के तत्वावधान में दिव्यांगजनों द्वारा मतदाता जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। इस रैली ने “हर वोट जरूरी है, हर मतदाता जरूरी है” का सशक्त संदेश दिया, जो न केवल समाज के हाशिये पर खड़े लोगों को बल्कि मुख्यधारा के नागरिकों को भी जागरूक करने की दिशा में एक प्रेरक प्रयास बना।
यह रैली सहरसा जिलाधिकारी कार्यालय परिसर से आरंभ हुई, जिसे उप विकास आयुक्त (डीडीसी) श्री निराला ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रतिभागियों में दिव्यांगजन उत्साह और आत्मविश्वास के साथ शामिल हुए, जिनके हाथों में मतदान के समर्थन में तख्तियां और बैनर थे। रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती रही, और अंततः वापस कार्यालय परिसर में आकर समाप्त हुई।

इस अवसर पर आयोजित संक्षिप्त सभा में डीडीसी श्री निराला ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल लोकतंत्र को सशक्त करने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है। उन्होंने कहा, *”दिव्यांगजनों द्वारा इस प्रकार की रैली का आयोजन यह साबित करता है कि यदि संकल्प हो तो कोई भी चुनौती बाधा नहीं बन सकती। यह संदेश हर मतदाता के लिए है कि वे अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।”*
रैली में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने मतदान करने और दूसरों को भी मतदान के लिए जागरूक करने की शपथ ली। कई दिव्यांगजन व्हीलचेयर, बैसाखी या सहायक उपकरणों की मदद से रैली में शामिल हुए, लेकिन उनके जोश और जज़्बे में कोई कमी नहीं थी। उनके चेहरों पर लोकतंत्र के प्रति समर्पण की भावना स्पष्ट रूप से झलक रही थी।
स्वीप कोषांग के अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी मतदाता, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो, मतदान से वंचित न रहे। उन्होंने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है और हर वर्ग में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ रही है।
कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने भी दिव्यांगजनों की इस पहल की प्रशंसा की और इसे लोकतंत्र की भावना को मजबूती देने वाला कदम बताया।
इस मौके पर कई दिव्यांग प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा किए। एक प्रतिभागी ने कहा, *”पहले हमें लगता था कि हमारी आवाज़ कोई नहीं सुनता, लेकिन अब जब हम खुद जागरूक हो रहे हैं और लोगों को जागरूक कर रहे हैं, तो लगता है कि हम भी लोकतंत्र की मुख्यधारा का हिस्सा हैं।”*
इस रैली ने न केवल सहरसा बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी यह संदेश प्रसारित किया कि हर व्यक्ति का वोट मायने रखता है। यह रैली साबित करती है कि यदि संकल्प हो, तो शारीरिक सीमाएं भी किसी के लोकतांत्रिक अधिकारों और कर्तव्यों के मार्ग में बाधा नहीं बन सकतीं।
अंत में, यह रैली उन सभी के लिए प्रेरणा बनकर सामने आई जो किसी भी कारण से मतदान प्रक्रिया से दूरी बनाए रखते हैं। सहरसा की सड़कों पर गूंजे नारों और दृढ़ संकल्प ने यह स्पष्ट कर दिया कि *”मतदान एक अधिकार ही नहीं, एक ज़िम्मेदारी भी है।”* इस प्रेरक पहल ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र तभी सशक्त होगा जब उसमें सभी की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
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