नई दिल्ली में आयोजित एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुआ युद्धविराम पूरी तरह से द्विपक्षीय समझौते का परिणाम था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। यह बयान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उन दावों के जवाब में आया, जिनमें उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने में उनके प्रशासन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने भारत से युद्धविराम की मांग की थी और इसके लिए उसने स्वयं भारत से संपर्क साधा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह संप्रभु राष्ट्रों के बीच की सीधी बातचीत थी, जिसमें किसी तीसरे देश या बाहरी शक्ति की कोई भागीदारी नहीं थी। मोदी का यह बयान न केवल भारत की विदेश नीति की स्वतंत्रता को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत अपनी सैन्य और कूटनीतिक रणनीतियों में आत्मनिर्भर है।

सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष से संपर्क कर युद्धविराम की इच्छा जताई थी। यह घटनाक्रम 10 मई को भारत द्वारा पाकिस्तान के एक एयरबेस पर किए गए सटीक हमले के बाद हुआ। यह हमला पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ, जिसके चलते उसने भारत से सीधी बातचीत की पहल की। भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला लिया, परंतु साथ ही पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी कि भविष्य में किसी भी आतंकी हमले को भारत युद्ध की कार्रवाई मानेगा और उसी के अनुसार जवाब देगा।

पीएम मोदी का यह बयान ट्रम्प के उस दावे को भी खारिज करता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने ‘व्यापार को एक उपकरण’ की तरह इस्तेमाल कर भारत-पाक तनाव को कम किया। ट्रम्प ने यह भी दावा किया था कि उनकी सरकार ने भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी को रोकने में हस्तक्षेप किया। परंतु मोदी ने इन दावों को पूरी तरह नकारते हुए स्पष्ट किया कि भारत अपनी विदेश नीति में आत्मनिर्भर है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को मान्यता नहीं देता।

बैठक में प्रधानमंत्री ने केवल कूटनीतिक मुद्दों पर ही नहीं, बल्कि आंतरिक राजनीति और नेताओं की बयानबाजी पर भी विचार रखे। उन्होंने एनडीए के नेताओं को संयमित भाषा के उपयोग की सलाह दी और कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर अनावश्यक टिप्पणियों से बचा जाना चाहिए। यह निर्देश विशेष रूप से उन हालिया विवादों के संदर्भ में आया, जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद भाजपा नेताओं के बयानों के चलते उत्पन्न हुए थे।

मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा सेना की एक अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए बयान ने खासा विवाद खड़ा कर दिया था। मामला इतना बढ़ गया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का निर्देश भी दिया। इस पृष्ठभूमि में पीएम मोदी की टिप्पणी पार्टी नेतृत्व की जवाबदेही और जिम्मेदार सार्वजनिक बयानबाजी की ओर संकेत करती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह दो टूक नीति भारत की कूटनीतिक और सुरक्षा रणनीति की दृढ़ता को दर्शाती है। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्वायत्तता का प्रमाण है, बल्कि आंतरिक रूप से भी यह संदेश देती है कि भारत अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। भारत का यह रुख दुनिया को यह समझाने में सफल रहा है कि वह किसी भी उकसावे का जवाब निर्णायक तरीके से देने में सक्षम है और उसके निर्णय किसी बाहरी दबाव के अधीन नहीं होते।

अंततः, पीएम मोदी का यह बयान न केवल ट्रम्प के दावों का खंडन करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए सक्षम, सजग और दृढ़ संकल्पित राष्ट्र है। भारत की विदेश नीति आज पहले से कहीं अधिक स्पष्ट और आत्मनिर्भर है, जिसमें राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।

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