राजधानी पटना में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल के दिनों में शहर के विभिन्न इलाकों से एक के बाद एक लूट, ठगी और अन्य आपराधिक घटनाएं सामने आ रही हैं। आम लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल है, वहीं पुलिस लगातार इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्रयासरत है। इसी कड़ी में पटना पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। कृष्णापुर थाना पुलिस ने एक ऐसे गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो फिल्मी स्टाइल में अपराधों को अंजाम दिया करते थे।

पकड़े गए अपराधियों की पहचान रितन कुमार, नीतीश कुमार और अरविंद कुमार के रूप में हुई है। ये तीनों काफी समय से पटना और आसपास के इलाकों में सक्रिय थे और अब तक कई आपराधिक घटनाओं में शामिल रहे हैं। पुलिस के अनुसार, ये गैंग फिल्मों और वेब सीरीज से प्रेरणा लेकर अपने अपराधों को अंजाम देता था। कभी सीबीआई अफसर बनकर तो कभी आर्मी की वर्दी पहनकर ये लोगों को ठगते थे।

**फिल्मी स्टाइल में रचते थे जाल**

पुलिस की जांच में सामने आया है कि इन अपराधियों ने फिल्मों की तरह पहले पूरी योजना बनाई, फिर अलग-अलग वेशभूषा अपनाकर अपने शिकार को ठगने निकलते थे। इनमें से एक आरोपी नकली सीबीआई स्पेशल ऑफिसर बनकर लोगों को गुमराह करता था। जब इनकी गिरफ्तारी हुई तो इनके पास से सेना की वर्दी, नकली सीबीआई का पहचान पत्र, हथियार और अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद हुआ।

पुलिस का कहना है कि ये लोग बहुत ही शातिर थे और हर अपराध से पहले उसकी गहन योजना बनाते थे। वे किसी भी घटना को अंजाम देने से पहले उस जगह की रेकी करते, संभावित शिकार की जानकारी इकट्ठा करते और फिर बिल्कुल फिल्मी अंदाज में उसे ठगते या लूटते थे। इतना ही नहीं, घटना के बाद कोई सुराग न छूटे, इसका भी विशेष ध्यान रखते थे।

**10 मई की लूट से हुआ था शक**

10 मई को पटना के शिवपुरी अंडरपास के पास लूट की एक बड़ी घटना सामने आई थी। पुलिस को शक था कि इस वारदात में कोई बड़ा गैंग शामिल है। जब जांच आगे बढ़ी तो कई सीसीटीवी फुटेज और गुप्त सूचना के आधार पर इस गैंग के बारे में पता चला। गिरफ्तार किए गए तीनों अपराधियों से पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि यही लोग 10 मई की घटना में भी शामिल थे। इसके बाद इनकी धर-पकड़ के लिए टीम गठित की गई और छापेमारी कर इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

**वेब सीरीज से लेते थे आइडिया**

सचिवालय डीएसपी साकेत कुमार ने बताया कि ये अपराधी अपराध की दुनिया में हमेशा कुछ नया करने की फिराक में रहते थे। इसके लिए वे बॉलीवुड फिल्मों और क्राइम पर आधारित वेब सीरीज देखते थे और उसी से प्रेरित होकर नई-नई तरकीबें निकालते थे। अपराध की दुनिया में इनकी दिलचस्पी मनोरंजन से शुरू हुई थी, जो धीरे-धीरे गंभीर आपराधिक गतिविधियों में बदल गई।

उन्होंने बताया कि ये लोग तकनीक का भी इस्तेमाल करने लगे थे। फोन कॉल्स के लिए फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल करते, सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रोफाइल बनाकर लोगों को जाल में फंसाते और फिर मौके पर नकली अफसर बनकर ठगी को अंजाम देते।

**गिरफ्तारी के बाद हो रहे बड़े खुलासे**

पुलिस के अनुसार, फिलहाल इन तीनों से गहन पूछताछ की जा रही है और इनके नेटवर्क को खंगाला जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि ये गैंग किसी बड़े आपराधिक संगठन से भी जुड़ा हो सकता है। इनकी कॉल डिटेल्स, सोशल मीडिया अकाउंट और अन्य डिजिटल माध्यमों की जांच की जा रही है ताकि पता लगाया जा सके कि इनके पीछे और कौन-कौन लोग हैं।

इस गैंग के खिलाफ पहले भी विभिन्न थानों में कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस यह जानने का प्रयास कर रही है कि क्या इस गैंग ने अन्य राज्यों में भी इसी तरह की घटनाएं अंजाम दी हैं।

**पुलिस की नागरिकों से अपील**

पटना पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अज्ञात व्यक्ति पर भरोसा न करें, चाहे वह कोई अफसर या अधिकारी जैसा दिखे। अगर कोई संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने को सूचित करें। पुलिस ने कहा कि अपराधी अब नई तकनीकों और चौंकाने वाले तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसे में आम जनता को भी सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है।

इसके अलावा, पुलिस ने यह भी सुझाव दिया कि ऑनलाइन और ऑफलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए लोग अपने निजी डेटा की सुरक्षा करें और किसी अनजान लिंक या फोन कॉल पर विश्वास न करें। सतर्कता ही सुरक्षा की पहली शर्त है।

**निष्कर्ष**

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अपराधी अब केवल हथियार से नहीं, बल्कि चालाकी और तकनीक के सहारे भी अपराध कर रहे हैं। पटना पुलिस की तत्परता और रणनीतिक कार्रवाई की वजह से एक बड़े गैंग का पर्दाफाश हुआ है, जिससे शहरवासियों ने थोड़ी राहत की सांस ली है। हालांकि, यह भी साफ है कि पुलिस और जनता को मिलकर इस तरह के संगठित अपराधों से निपटना होगा।

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